पटना: बिहार में जमीन सर्वे की प्रक्रिया अब सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. बिना उचित तैयारी और जानकारी के शुरू किया गया यह सर्वे अब परेशानी का कारण बन गया है. सरकार ने एक बार फिर से इस सर्वे की समय सीमा को बढ़ाकर जुलाई 2026 कर दिया है. राजस्व और भूमि सुधार विभाग ने बिहार में जमीन सर्वे के लिए नया लक्ष्य तय किया है, और जनवरी से जमाबंदी को आधार से लिंक करने की योजना बनाई है, जिससे बेनामी जमीन पर काबू पाया जा सके.
सर्वे में हो रही देरी पर सरकार बैकफुट पर
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में जमीन सर्वे कराने का ऐलान करने के बाद सरकार खुद ही अपने ही जाल में फंसी हुई है. लोगों में इस सर्वे को लेकर नाराजगी बढ़ रही है, और सरकार चुनाव के बीच किसी भी रिस्क से बचना चाहती है. यही वजह है कि समय-समय पर सर्वे की समय सीमा बढ़ाई जा रही है. अब यह समय सीमा जुलाई 2026 तक बढ़ा दी गई है.
बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने विभाग की उपलब्धियां को गिनाते हुए इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 1400 राजस्व पदाधिकारी में 458 से अधिक पदाधिकारी पर कार्रवाई हुई है. कही भी जांच के लिए ऑनलाइन इंतजाम है. 4 पदाधिकारियों की टीम मुख्यालय में शिकायत देखने के लिए बैठाए गए हैं. लैंड सर्वे के लिए किसी को आने के आने की जरूरत नहीं है, जो जहां हैं वही से ऑन लाइन कर सकते हैं.
आठ हजार से ज्यादा अमीन काम में लगाये गये
उन्होंने बताया कि जो रैयत और जमीन के कम से कम पेपर भी हैं तो जमीन बिहार सरकार की नहीं हो सकती है. इसके लिए कई प्रावधान किए गए हैं. 45000 हजार गांव में सर्वे का काम 1 साल में पूरा करने का लक्ष्य है. एक नहीं तो दो साल में इसे पूरा कर लिया जाएगा. 80035 अमीन सिर्फ सर्वे के लिए रखे गए हैं. जमीन सर्वे के पहले चरण के अंतर्गत 20 जिलों में अंतिम चरण में है. दूसरे चरण में बाकी के 18 जिला में सर्वेक्षण का काम शुरू हो गया है.