Joharlive Desk
माॅस्को । जल्द ही दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन विकसित करने का दावा कर रहे रूस के संस्थान ‘द गामाले साइंटिफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी’ के प्रमुख अलेक्जेंडर गिंसबर्ग ने कहा है कि बच्चों के लिए इस वर्ष कोरोना वायरस (कोविड-19) की वैक्सीन आने की उम्मीद नहीं है।
श्री गिंसबर्ग ने कहा है कि इस समय रूस में सिर्फ वयस्क व्यक्तियों पर इस वैक्सीन का परीक्षण किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “मुझे पूरी उम्मीद है कि यह वैक्सीन बच्चों के लिए भी फायदेमंद होगी, लेकिन रूस के कानून के हिसाब से इस वैक्सीन के वयस्क व्यक्तियों पर परीक्षण की प्रक्रिया का चक्र पूरा हो जाने के बाद ही इसका बच्चों पर परीक्षण किया जा सकता है। इस समय में 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों पर इस वैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण किया जा रहा है। “
वहीं द सेचेनोव इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी के निदेशक वदिम तारासोव ने बताया कि बच्चों पर इस वैक्सीन का परीक्षण करने से पहले कम उम्र के जानवरों पर इसका परीक्षण किया जायेगा और इसके बाद ही बच्चों पर इस वैक्सीन के परीक्षण का फैसला किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “यह कहना जल्दबाजी होगी कि इस वैक्सीन का उपयोग बच्चों पर किया जाएगा। बच्चे कोरोना के जाेखिम वाले समूह में नहीं हैं।”