नई दिल्ली : संसद का विशेष सत्र सोमवार (18 सितंबर) से शुरू हो रहा है. सरकार के इस फैसले को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर जारी है. संभावना जताई जा रही हैं कि इस दौरान 4 विधेयकों को सूचीबद्ध किया गया है. सरकार का कहना है कि सोमवार को संसद का विशेष सत्र शुरू होने के बाद कार्यवाही मंगलवार को नए भवन में ले जाई जाएगी. सोमवार से शुरू हो रहा यह सत्र पांच दिनों तक चलेगा. आगामी लोकसभा और पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिहाज से भी इस सत्र को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

लोकसभा में पीएम मोदी रखेंगे अपनी बात

संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र की शुरुआत सोमवार से हो रही है. खबर यह भी है कि पहले ही दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में अपनी बात रखेंगे. खास बात यह है कि इससे पहले संपन्न हुए संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विपक्ष लगातार पीएम मोदी से सदन में उपस्थित होकर मणिपुर मुद्दे पर बयान जारी करने की मांग करता रहा.

क्या पेश होगा महिला आरक्षण बिल

महिला आरक्षण विधेयक 2010 में राज्यसभा से पारित हो चुका है, लेकिन लोकसभा में पारित होना बाकी है. इस विधेयक का सभी दल समर्थन कर रहे हैं, लेकिन कई दलों की इसमें अपनी-अपनी शर्ते हैं. कुछ दल चाहते हैं कि महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में जो 33 फीसदी आरक्षण दिया जाए, उसमें आरक्षण का प्रावधान किया जाए. यानी उसमें एसटी, एससी व ओबीसी महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की जाएं.

चीफ इलेक्शन कमीश्नर एवं अदर इलेक्शन कमिश्नर अप्वाइंटमेंट एंड सर्विस बिल

चीफ इलेक्शन कमीश्नर एवं अदर इलेक्शन कमिश्नर अप्वाइंटमेंट एंड सर्विस बिल मुख्य चुनाव आयुक्तों, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एवं उनकी सेवा शर्तों से जुड़े बदलावों के लिए लाया जा रहा है. पीएम की अध्यक्षता में विपक्ष के नेता एवं एक कैबिनेट मंत्री वाली चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्त करेंगी. साथ ही सेवा से जुड़े बदलाव भी किए गए हैं.

एडवोकेट एमेंडमेंट बिल

विधेयक तीन अगस्त को राज्यसभा में पारित हुआ था तथा 4 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था. इसमें कोर्ट परिसर में दलालों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर प्रावधान किए गए हैं तथा यह 1961 में बने एडवोकेट कानून की जगह लेगा.

प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियोडिकल्स बिल

यह विधेयक भी राज्यसभा से पारित होने के बाद चार अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था. इसमें 1867 में बने कानून प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट को समाप्त कर उसकी जगह नया विधेयक लाया जा रहा है. नये विधेयक में बिना पंजीकरण के समाचार पत्र या पाक्षिक के प्रकाशन करने पर जुर्माना या अधिकतम छह महीने तक की सजा का प्रावधान किया गया है.

पोस्ट आफिस बिल 2023

यह विधेयक 10 अगस्त को राज्यसभा में पेश किया जा चुका है. इसे पोस्ट आफिस को वर्तमान जरूरतों के हिसाब से तैयार करने के लिए लाया गया है. यह भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 की जगह लेता है.

ये चार अहम विधेयक हो सकते हैं पेश

संसद के इस विशेष सत्र के दौरान चार विधेयक चर्चा और पारित करने के लिए पेश किए जा सकते हैं. इनमें एडवोकेट एमेंडमेंट बिल 2023, प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन आफ पीरियोडिकल्स बिल 2023, पोस्ट आफिस बिल 2023 और चीफ इलेक्शन कमीश्नर एवं अदर इलेक्शन कमिश्नर अप्वाइंटमेंट एंड सर्विस बिल शामिल हैं.

Share.
Exit mobile version