रांची : सावन में आने वाली अमावस्या अत्यंत खास मानी जाती है. इस साल यह तिथि रविवार को है. पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या पर श्राद्ध की रस्मों को करना उपयुक्त माना जाता है. सावन में आने के कारण इसे हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है.
अमावस्या को लेकर रांची के प्रख्यात पंडित जितेंद्र पाठक बताते हैं कि इस बार के अमावस्या का संयोग काफी बेहतर है क्योंकि नक्षत्रों का सम्राट तथा ग्रहों का राजा सूर्य का एक साथ मिलन हो रहा है. जो भक्त अमावस्या के दिन देवी-देवताओं की सच्ची श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं उनके सभी कष्ट और रोग को भगवान हर लेते हैं. इस बार अमावस्या का संयोग अद्भुत बन रहा है. अमावस्या पितृ दोष को हटाने के लिए मनाया जाता है. इसलिए सनातन धर्म में अमावस्या को पूर्वजों का दिन भी माना जाता है.
शुभ मुहूर्त : श्रावण मास की अमावस्या तिथि रविवार की सुबह सूर्योदय से यह शुरू हो गया है जो शाम 6:40 बजे तक रहेगा. साथ ही पूस नक्षत्र का भी सहयोग बना रहेगा. हिंदू धर्म में स्नान दान के लिए उदया तिथि मान्य होती है.
पंडित बताते हैं कि अमावस्या के दिन स्नान कर प्रभु का ध्यान करना चाहिए और हो सके तो पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गरीब, बेसहारे एवं जरूरतमंद बुजुर्गों को भोजन करना चाहिए. इससे पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त होती है.
पूजा विधि :
पंडितों की मानें तो अमावस्या की पूजा के दिन चंदन, दीपक, अगरबत्ती, प्रसाद, फल, गंगाजल एवं पंचोउपचार के साथ भगवान का पूजन कर सकते हैं.
पंडित एवं ज्योतिषाचार्य जितेंद्र प्रसाद बताते हैं कि 12 राशियों में सिर्फ तुला, कुंभ और मिथुन राशि के लोगों के लिए यह अमावस्या हानिकारक हो सकता है, लेकिन अगर वह सही तरीके से अपने देवता की पूजा करें तो उनके लिए भी इस वर्ष के सावन माह का अमावस्या लाभदाई होगा. वहीं, मेष, सिंह, धनु, वृश्चिक, मकर, कन्या, कर्क, मीन, वृष राशि के लोगों के लिए अद्भुत संयोग का अमावस्या माना जा रहा है. इस मंत्र का करे उच्चारण- “सर्वानी विघ्नानी हरन्ति पूस:”.