देश में विनायक चतुर्थी का पर्व 14 जून सोमवार यानी आज मनाया जा रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने में दो चतुर्थी पड़ती है। इस दिन को प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा होती है।

गणेश चतुर्थी का महत्व

पंडित अरविंद गिरि क अनुसार, हिंदू संस्कृति में किसी भी कार्य की सफलता के लिए सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। गणेश के पूजन से भक्तों को सुख, समृद्धि और यश प्राप्ति होती है। वह सभी संकट से दूर करते हैं। मान्यताओं के अनुसार विनायक चतुर्थी का व्रत करने से या फिर इस दिन गणपति की पूजा-अर्चना करने से सभी बिगड़े कार्य बन जाते हैं।

विनायक चतुर्थी पूजा विधि

पंडित बृजेश पांडेय के अनुसार, इस दिन पूजन से पूर्व नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर पवित्र आसन पर बैठें। फिर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजन सामग्री पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि एकत्रित कर क्रमश: भगवान गणेश की पूजा करें।

उन्हें दूर्वा (एक तरह की घास) जरूर अर्पित करें। मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। पूजा के उपरांत सभी देवी-देवताओं का स्मरण करें। पूजा के अंत में गणेश जी की आरती करें। फिर प्रसाद का वितरण करें। अगले दिन

दान-पुण्य कर व्रत का पारण करें।

ये है विनायक चतुर्थी की कथा

एक बार माता पार्वती के मन में एक ख्याल आता है कि उनका कोई पुत्र नहीं है। ऐसे ही वो अपने मन से एक बालक की मूर्ति बनाकर उसमें जीवन भरती हैं। इसके बाद वे कंदरा में स्थित कुंड में स्नान करने के लिए चली जाती हैं। लेकिन जाने से पहले माता अपने पुत्र को आदेश देती हैं कि किसी भी परिस्थिति में किसी भी व्यक्ति को कंदरा में प्रवेश नहीं करने देना।

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