Johar Live Desk : केंद्र सरकार गुरुवार 13 फरवरी 2025 को संसद में नया इनकम टैक्स बिल (Income Tax Bill 2025) पेश कर सकती है. इस बिल का मुख्य उद्देश्य टैक्स कानूनों को सरल बनाना, कर अनुपालन को आधुनिक बनाना और टैक्सपेयर्स के लिए नियमों को अधिक स्पष्ट बनाना है. इस बिल में कुल 23 चैप्टर, 16 शेड्यूल और 536 धाराएं (Clauses) शामिल हैं, जो इनकम टैक्स से जुड़े विभिन्न पहलुओं को कवर करती हैं.
माना जा रहा है कि नया कानून 1 अप्रैल, 2026 से लागू होगा जो 64 साल पुराने कानून की जगह लेगा. जानकारों का कहना है कि नया IT बिल कोई नया टैक्स नहीं लाएगा. यह टैक्स अनुपालन को आसान बनाएगा. लेकिन कई टैक्सपेयर्स इस बात से चिंतित हैं कि क्या नया बिल वाकई कानूनों को सरल बनाएगा?
यहां हम आपको बता रहे हैं कि इस बिल में क्या बदलाव हो सकते हैं और नए इनकम टैक्स बिल का आप पर क्या असर होगा.
1. सरल भाषा और नए शब्दों का उपयोग
इस बिल में आयकर कानूनों को अधिक सरल और समझने योग्य बनाने के लिए तकनीकी शब्दों को बदलने का प्रस्ताव है. असेसमेंट ईयर को टैक्स ईयर (Tax Year) नाम दिया जाएगा. पिछला वर्ष (Previous Year) को वित्तीय वर्ष (Financial Year) कहा जाएगा. इस बदलाव से करदाताओं को यह समझने में आसानी होगी कि टैक्स ईयर वही 12 महीने की अवधि होगी, जो वित्तीय वर्ष के समान होगी, यानी 1 अप्रैल से 31 मार्च तक.
अभी क्या होता है?
फिलहाल, 2024-25 में कमाई गई आय को 2025-26 के असेसमेंट ईयर में आंका जाता है, लेकिन नए प्रस्ताव के अनुसार टैक्स ईयर और वित्तीय वर्ष एक ही होंगे.
बिजनेस शुरू करने वालों के लिए नया नियम
अगर कोई नया बिजनेस या प्रोफेशन शुरू करता है, तो उसका टैक्स ईयर उसी तारीख से शुरू होगा, जिस दिन बिजनेस शुरू हुआ है. अगर किसी व्यक्ति की नई आय का स्रोत वित्तीय वर्ष के बीच में आता है, तो टैक्स ईयर उसी दिन से शुरू होगा जब वह स्रोत अस्तित्व में आया है और यह वित्तीय वर्ष के अंत में खत्म होगा.
2. वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (Virtual Digital Assets) पर सख्त नियम
वर्तमान में, अगर आयकर विभाग किसी व्यक्ति के पास से गैर-कानूनी नकदी, सोना या ज्वेलरी बरामद करता है, तो इसे अघोषित आय (Undisclosed Income) माना जाता है और उस पर टैक्स लगाया जाता है. नए विधेयक के तहत, वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (जैसे क्रिप्टोकरेंसी) को भी अघोषित आय की श्रेणी में जोड़ा जाएगा. इसका मतलब यह है कि अगर कोई व्यक्ति टैक्स चोरी के इरादे से क्रिप्टोकरेंसी या अन्य डिजिटल संपत्तियों को छिपाता है, तो उसे अघोषित आय माना जाएगा और उस पर टैक्स वसूला जाएगा.
3. टैक्स प्रशासन और डिजिटल निगरानी में सख्ती
Central Board of Direct Taxes (CBDT) को कर प्रशासन (Tax Administration) से जुड़े नए नियम लागू करने, अनुपालन उपायों (Compliance Measures) को सख्त करने और डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम लागू करने की शक्ति दी जाएगी. इसका फायदा यह होगा कि बार-बार टैक्स कानूनों में बदलाव करने की जरूरत नहीं होगी और नए नियम सीधे प्रशासन द्वारा लागू किए जा सकेंगे.
ITR फाइलिंग की समय-सीमा में कोई बदलाव नहीं
जिन व्यक्तियों और टैक्सपेयर्स को ऑडिट कराने की जरूरत नहीं है, उन्हें 31 जुलाई तक अपना मूल ITR (Income Tax Return) फाइल करना होगा.
जिन टैक्सपेयर्स के खातों की ऑडिट अनिवार्य है, उन्हें 30 सितंबर तक अपनी ऑडिट रिपोर्ट जमा करनी होगी और 31 अक्टूबर तक ITR फाइल करना होगा.
अंतरराष्ट्रीय लेन-देन (International Transactions) करने वाले टैक्सपेयर्स को 31 अक्टूबर तक ऑडिट रिपोर्ट और 30 नवंबर तक ITR फाइल करना होगा.
अगर कोई व्यक्ति ITR फाइल करने की निर्धारित समय-सीमा से चूक जाता है, तो वह 31 दिसंबर तक लेट फाइलिंग या संशोधित ITR जमा कर सकता है.
4. लेट फाइलिंग पर जुर्माना
अगर कोई व्यक्ति तय समय पर ITR फाइल नहीं करता, तो उसे 5,000 रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है, जैसा कि आयकर अधिनियम की धारा 234F (Section 234F) में प्रावधान है.
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