JoharLive Special : Photo by-Kuldeep dwivedi (IPS)
धरती के गर्भ में छिपा लोहे का अकूत भंडार और धरातल पर छाई सघन वनों की हरियाली किरीबुरू – यह है झारखण्ड की एक ऐसी भूमि जो कुदरती खजाने और सौंदर्य दोनों का एक अनूठा संगम है।
झारखण्ड का एक सुदूर इलाका जिसकी सीमाएं उड़ीसा को छूती हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए अवश्य ही इसे स्वर्ग की संज्ञा दी जा सकती है।
लेकिन दुविधा यह है की जब भी पहाड़ों की बात आती है, निश्चित रूप से सबका ध्यान हिमालय, नीलगिरी आदि की ओर चला जाता है।
आज भी झारखण्ड में किरीबुरू को कोई नहीं जानता है, न ही ये क्षेत्र अब तक सैलानियों के रुकने-ठहरने लिए कभी विकसित किये गए।
सिर्फ कुछ सधे हुए घुमक्कड़ किस्म के प्राणी और वहां के स्थानीय लोग ही ऐसे स्थानों के बारे बता सकते हैं।
उड़ीसा की सीमा को स्पर्श करता किरीबुरू अतिरमणीय स्थल
दक्षिण-पश्चिमी झारखण्ड या पश्चिमी सिंहभूम जिले में उड़ीसा की सीमा को स्पर्श करता किरीबुरू एक अतिरमणीय स्थल है, अन्दर जिसके गर्भ में लौह भंडार है,
तो दूसरी ओर बाहर से अविश्वनीय प्राकृतिक छटा। किरीबुरू जमशेदपुर से 160 किमी, चाईबासा से 90 किमी, नोआमुंडी से 30 किमी और बड्बिल से 8 किमी की दूरी पर है,
जो सारंडा जंगलों के मध्य में बसा है।