झारखंड

किडनी के मरीजों को नहीं लगानी होगी प्राइवेट सेंटर की दौड़, रिम्स में होगा डायलेसिस

रांची : राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में किडनी के मरीजों को बड़ी राहत मिलने वाली है. हॉस्पिटल में नया डायलेसिस सेंटर तैयार हो रहा है. जिससे कि मरीजों को डायलेसिस कराने के लिए प्राइवेट सेंटरों की दौड़ नहीं लगानी होगी. वहीं सरकारी दर पर मरीजों का डायलेसिस होगा. इसके अलावा आयुष्मान के मरीजों को कोई चार्ज नहीं लगेगा. बता दें कि प्राइवेट हॉस्पिटल व सेंटर में इसके लिए 2500 से लेकर पांच हजार तक लिए जाते है. जबकि रिम्स सदर में आधे से कम खर्च में ही डायलेसिस किया जा सकेगा.

25 बेड का सेंटर रिम्स में तैयार

रिम्स की पुरानी बिल्डिंग में चार बेड का सेंटर चल रहा था. जिससे कि हॉस्पिटल में एडमिट मरीजों की डायलेसिस की जाती थी. वहीं बाहर के मरीजों को तो नंबर भी बड़ी मुश्किल से मिल पाता था. यूं कहे तो बाहर से आने वाले मरीजों के लिए प्राइवेट सेंटर ही सहारा था. अब हॉस्पिटल में 25 बेड का सेंटर तैयार हो रहा है. जिसका काम पूरा होने को है. इसके चालू होने से मरीजों को बड़ी राहत मिल जाएगी.

रिम्स-सदर में सरकारी दर पर डायलेसिस

सदर हॉस्पिटल में मरीजों के डायलेसिस के लिए 10 बेड है. जहां पर मरीजों की डायलेसिस की जा रही है. इस सेंटर में डायलेसिस के लिए भागदौड़ नहीं करनी पड़ती. आन कॉल डायलेसिस के लिए दिन और समय बता दिया जाता है. इससे मरीजों को ज्यादा इंतजार नहीं करना होता. वहीं बेहिसाब खर्च का लोड भी नहीं होता. चूंकि रिम्स और सदर में सरकारी दर पर मरीजों की डायलेसिस की जाती है. ये खर्च प्राइवेट हॉस्पिटल वे सेंटरों की तुलना में आधे से भी कम है.

हर साल किडनी के मरीज बढ़ रहे

राज्य में हर साल किडनी के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. सालाना एक लाख से अधिक मरीज किडनी की बीमारियों से ग्रसित है. वहीं ज्यादातर मरीजों की किडनी फेल हो चुकी है. ऐसे में मरीजों को हफ्ते में दो से तीन बार डायलेसिस कराना होता है. वहीं गंभीर मरीजों को हर दूसरे दिन डायलेसिस करानी पड़ती है. बता दें कि केवल रिम्स में 500 मरीज डायलेसिस के लिए हर महीने आते हैं.

नहीं जाना होगा झारखंड से बाहर

झारखंड में किडनी के मरीजों की संख्या एक लाख से ज्यादा है. राज्य में किडनी के मरीजों के इलाज के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के कारण मरीजों को झारखंड से बाहर जाना पड़ता है. वहीं आर्थिक रूप से जो असमर्थ है उनके लिए तो यह बीमारी मानसिक रूप से तोड़ने का काम करती है. हालांकि राज्य के प्राइवेट हॉस्पिटलों में इलाज की व्यवस्था है लेकिन इसके लिए लाखों रुपए खर्च करने पड़ते है. रिम्स में यह सुविधा शुरू होने पर मरीजों को कहीं और जाने की जरूरत नहीं होगी.

 

 

 

 

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