Joharlive Team
ग्रहण के दौरान गुरुमंत्र जपे
ग्रहण के बाद स्नान दान का बड़ा महत्व है।
चंद्रमा और सूर्य जब राहु और केतु के प्रभाव में आते हैं तब ग्रहण लगता है। यह प्रकृति में जितना खतरनाक है जीवन मे भी उतना ही उतार चढ़ाव आता है। इस वर्ष यह 21 जून को आ रहा है। इस समय 6 ग्रह वक्री है। जो प्रकृति और विश्व के लिए ज्यादा खतरनाक है।
आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या रविवार को लगने वाला ग्रहण चूड़ामणि ग्रहण योग बना रहा है। यह खण्डग्रास सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा इसके अलावा मध्य अफ्रीका, दक्षिणी प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, चीन ताइवान, अरब क्षेत्रों में, ओमान, पाकिस्तान आदि क्षेत्रों में भी देखने को मिलेगा।
यह ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में प्रारंभ होगा वही समाप्ति आर्द्रा नक्षत्र में होगी।
राँची में ग्रहण का समय
सूर्य ग्रहण का स्पर्श – 10: 37 मिनट
ग्रहण का मध्य – 12:25 मिनट
ग्रहण का मोक्ष – 2:10 मिनट
ग्रहण समय में भारत में पड़ने वाले प्रभाव –
सूर्य चंद्र बुध सूर्य राहु की युति एवं 6 ग्रह वक्री हैं बुध, गुरु, शुक्र शनि राहु और केतु तथा मृगशिरा नक्षत्र में 4 ग्रहों की युति । लंबे समय तक इसका परिणाम बहुत ही भयानक हो सकती है।
प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया की यह ग्रहण देश दुनिया के लिए जहाँ हानिकारक है वही कीटाणु या विषाणु के द्वारा उतपन्न रोग से लाभ मिलेगा। इसके अलावा कोई बड़ा बम विस्फोट, आगजनी समस्या, अनकहीं घटना, युद्ध, आकाशीय घटना,भूकम्प, तूफान, उच्च स्तरीय नेताओं की असामयिक मृत्यु, एवं सीमा पर उठा-पटक की संभावना बन सकती है। इस दौरान धैर्य रखना चाहिए। वैसे यह ग्रहण भारत के लिए अच्छा है। भारत का ग्रहण के बाद चहुओर विकास होगा।
राशिफल –
मेष – मेष राशि सभी प्रकार से लाभदायक रहेगा लक्ष्मी प्राप्ति होगी । भगवान विष्णु का आराधना और ॐ नमो भगवते वासुदेवायः का जप करें।
वृष – ग्रहण अच्छा नहीं है। आर्थिक क्षति होगी। लक्ष्मी और गणेश का मंत्र जपे।
मिथुन – ग्रहण घात और हानिकारक है। कोई मानसिक परेशानी औऱ माता को कष्ट होगा। गुरुमंत्र और लक्ष्मी का मंत्र जापे।
कर्क – यह ग्रहण शारीरिक हानि और आर्थिक क्षति लेकर आ रहा है। भगवान शिव और दुर्गा का मंत्र जापे।
सिंह – यह ग्रहण लाभकारी है। गायत्री मंत्र और सूर्य गायत्री मंत्र का जप करें।
कन्या – समय अनुकूल और शुख में बृद्धिकरक है। इस समय आप आप ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै का जप करें।
तुला – मानसिक तनाव और मानहानि हो सकता है। इस समय आप ॐ नमः शिवाय का जप करें।
वृश्चिक – समय मृतुतुल्य कष्ट और आर्थिक कष्टकारी हैं। इस समय आप हनुमान चालीसा और देवी का पाठ करें।
धनु – यह ग्रहण स्वयम और जीवनसाथी के लिए पीड़ादायक समय हैं। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय और गुरुगायात्री का जप करें।
मकर – ग्रहण लाभकारी हैं। शनि और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
कुम्भ – ग्रहण के बाद अचानक चिंता बढ़ेगा। काली मंत्र या बजरंग बाण का पाठ करें।
मीन – समय अनुकूल नही है कोई चोट मोच होगा। इस समय आप गायत्री मंत्र और नवार्ण मंत्र का जप करें।
सूतक लग जाने पर मंदिर में प्रवेश करना, मूर्त्ति को स्पर्श करना, भोजन करना, मैथुन करना, सोना, यात्रा करना इत्यादि वर्जित है लेकिन बालक, वृद्ध, रोगी और गर्भवती को क्षम्य है।
भोजन सामग्री जैसे दूध, दहीं घी इत्यादि कुश या तुलसी दल रख दें।
गर्भवती महिलाएं पेट पर गाय के गोबर का पतला लेप लगायें। ग्रहण के पहले अपने लंबाई का धागा नाप कर कही टांग दे। ग्रहण के दौरान कोई मंत्र का जप या धार्मिक ग्रंथ का श्रवण करना चाहिए। ग्रहण के बाद स्नान कर अन्न का दान करें।
ग्रहण के पश्चात स्नान दान करके भोजन करें।
यदि कुंडली मे पूर्व में ग्रहण लग हो तो ज्यादा हानिकारक होगा। ग्रहण के दौरान बाहर नही जाए।
आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम अरगोड़ा राँची
9031249105
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