करवा चौथ का ये व्रत सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. महिलाएं करवा चौथ के दिन कठिन उपवास रखती हैं और चांद के निकलने तक पानी का एक बूंद भी ग्रहण नहीं करती हैं. दिन भर उपवास रहने के बाद रात में चौथ का चांद देखने के बाद छलनी में पति का चेहरा देखकर ही महिलाएं व्रत का पारण करती हैं. यह व्रत 12 वर्ष या 16 वर्ष तक किया जाता है. बाद में इसका उद्यापन भी किया जा सकता है. कोई सुहागन स्त्री बाद में चाहे तो व्रत को आगे भी कर सकती हैं. इस वर्ष चंद्रदर्शन रात्रि 08 बजे है. इसलिए 09:30 बजे रात्रि तक चंद्रमा का पूजन और अर्घ्य का कार्यक्रम किया जाएगा. आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि इस वर्ष बुधादित्य योग, शिव योग और सर्वाथसिद्ध योग में करवा चौथ व्रत मनाया जाएगा.

सालों बाद मंगल व बुध एक साथ होंगे विराजमान

करवा चौथ 2023 पर बन रहा महासंयोग. बहुत लंबे समय के बाद मंगल और बुध एक साथ विराजमान होंगे, उसकी वजह से बुध आदित्य योग बन रहा है, जो बहुत ही शुभ माना जाता है. इतना ही नहीं, करवा चौथ के दिन शिव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. ऋषिकेश पंचांग के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए. पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है. इस साल करवा चौथ पर विशिष्ट संयोग बन रहे हैं, जो इस व्रत का महत्व और बढ़ा रहे हैं. ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, करवा चौथ के दिन चंद्रदेव मृगशिरा नक्षत्र में उदय होंगे. इस नक्षत्र में चंद्र देव के दर्शन से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

करवा चौथ व्रत की कथा

पौराणिक कथा अनुसार, करवा नाम की पतिव्रता स्त्री थी. उसका पति एक दिन नदी में स्नान करने गया तो मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया उसने अपनी पत्नी करवा को सहायता के लिए बुलाया करवा के सतीत्व में काफी बल था. नदी के तट पर अपने पति के पास पहुंचकर अपने तपोबल से उस मगरमच्छ को बांध दिया. फिर करवा मगरमच्छ को लेकर यमराज के पास पहुंची. करवा ने यमराज से कहा कि इस मगर को आप मृत्युदंड दें और उसको नरक में ले जाएं. यमराज ने करवा से कहा कि अभी इस मगर की आयु शेष हैं इसलिए वह समय से पहले मगर को मृत्यु नहीं दे सकते. इस पर करवा ने कहा कि अगर आप मगर को मारकर मेरे पति को चिरायु का वरदान नहीं देंगे तो मैं अपने तपोबल के माध्यम से आपको ही नष्ट कर दूंगी. करवा माता की बात सुनकर यमराज के पास खड़े चित्रगुप्त सोच में पड़ गए क्योंकि करवा के सतीत्व के कारण न तो वह उसको शाप दे सकते थे और ना ही उसके वचन को अनदेखा कर सकते थे. तब उन्होंने मगर को यमलोक भेज दिया और उसके पति को चिरायु का आशीर्वाद दे दिया. साथ ही चित्रगुप्त ने करवा को आशीर्वाद दिया कि तुम्हारा जीवन सुख-समृद्धि से भरपूर होगा. चित्रगुप्त ने कहा कि जिस तरह तुमने अपने तपोबल से अपने पति के प्राणों की रक्षा की है, उससे मैं बहुत प्रसन्न हूं. मैं वरदान देता हूं कि आज की तिथि के दिन जो भी महिला पूर्ण विश्वास के साथ तुम्हारा व्रत और पूजन करेगी, उसके सौभाग्य की रक्षा मैं करूंगा. उस दिन कार्तिक मास की चतुर्थी होने के कारण करवा और चौथ मिलने से इस व्रत का  नाम करवा चौथ पड़ा. इस तरह मां करवा पहली महिला हैं, जिन्होंने सुहाग की रक्षा के लिए न केवल व्रत किया बल्कि करवा चौथ की शुरुआत भी की. इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने भी इस व्रत को किया था, जिसका उल्लेख वारह पुराण में मिलता है.

व्रत की विधि

प्रातः स्नान करके अपने सुहाग लंबी की आयु, आरोग्य, सौभाग्य का संकल्प लेकर दिनभर निराहार रहें.   निम्न मंत्र से  शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा का पूजन करें. ॐ शिवायै नमः’ से पार्वती का, ‘ॐ नमः शिवाय’ से शिव का, ‘ॐ षण्मुखाय नमः’ से स्वामी कार्तिकेय का, ‘ॐ गणेशाय नमः’ से गणेश का तथा ‘ॐ सोमाय नमः’ से चंद्रमा का चौथ के व्रत को करने के बाद शाम को पूजा करते समय माता करवा चौथ कथा पढ़ना चाहिए. साथ ही माता करवा से विनती करनी चाहिए कि हे मां, जिस प्रकार आपने अपने सुहाग और सौभाग्य की रक्षा की उसी तरह हमारे सुहाग की रक्षा करें. साथ ही यमराज और चित्रगुप्त से विनति करें कि वह अपना व्रत निभाते हुए हमारे व्रत को स्वीकार करें और हमारे सौभाग्य की रक्षा करें.

प्रसिद्ध ज्योतिष

आचार्य प्रणव मिश्रा

आचार्यकुलम, अरगोड़ा, राँची

8210075897

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