रांची: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर देशभर में लाखों श्रद्धालुओं ने नदियों में पवित्र स्नान किया. इस दिन को लेकर खास महत्व है, खासकर गंगा, यमुना, सरयू और अन्य प्रमुख नदियों के घाटों पर भारी भीड़ देखी गई. कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने का धार्मिक महत्व है, जो आस्था और पुण्य की प्राप्ति के लिए माना जाता है. इस साल कार्तिक पूर्णिमा 3:04 बजे से शुरू होकर शनिवार रात 1:06 बजे तक रहेगी.

पटना के गंगा घाटों पर उमड़ी भारी भीड़

गंगा के पवित्र स्नान के लिए श्रद्धालु शुक्रवार को गंगा घाटों पर पहुंचे। जानकारी के अनुसार, पटना के गंगा घाटों पर ढाई से तीन लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है. बता दें कि पिछले साल भी लगभग इतनी ही संख्या में श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने पहुंचे थे. जिनमें पटना, जहानाबाद, कुर्था, पाली, अरवल और अन्य इलाकों से लोग शामिल हुए. हर साल कार्तिक माह में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.

अयोध्या में कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने सरयू नदी में पवित्र स्नान किया

उधर उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी श्रद्धालुओं ने नदियों में पवित्र स्नान किया. अयोध्या में सरयू नदी के घाटों पर लाखों श्रद्धालु पहुंचे. कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए और भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए नदियों में स्नान करते हैं.

अगहन (मार्गशीर्ष) महीना 16 नवंबर से शुरू होगा

कार्तिक पूर्णिमा के बाद अगहन (मार्गशीर्ष) महीना 16 नवंबर से शुरू होगा, जो भगवान कृष्ण की विशेष पूजा का समय माना जाता है.  इस महीने में शंख पूजा का विशेष महत्व है. पंडितों के अनुसार, किसी भी शंख को भगवान श्री कृष्ण के पांचजन्य शंख के रूप में पूजा जाना चाहिए.  इस महीने में विशेष रूप से भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है.

देव दीपावली का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी मनाई जाती है, जिसे शास्त्रों में एक विशेष दीपावली के रूप में संदर्भित किया गया है. कार्तिक माह की पूर्णिमा को देवताओं की पूजा और दीप जलाने का दिन माना जाता है. इस दिन दीपों से वातावरण को शुद्ध किया जाता है और ईश्वर की कृपा प्राप्त की जाती है. पंडितों का कहना है कि पूर्णिमा व्रत करने वाले श्रद्धालु 16 नवंबर को व्रत का पारण करेंगे.

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