कार्तिक पूर्णिमा का उत्सव पांच दिनों तक चलता है। यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन खत्म होता है। इस दिन महादेव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था, इसलिए इसे “त्रिपुरी पूर्णिमा” के नाम से भी जाना जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार इस दिन संध्या समय भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था।
कार्तिक पूर्णिमा और शुभ संयोग :
इस बार की पूर्णिमा के दिन कृतिका नक्षत्र एवं परिध योग का संयोग होने से इस दिन पूर्णिमा का अत्यन्त शुभ महत्व रहेगा। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ प्रणव मिश्रा ने बताया कि इस बार की कार्तिक पूर्णिमा में चंद्रमा कृतिका नक्षत्र एवं सूर्य का विशाखा नक्षत्र पर होने से पुण्यदायक पद्ममक योग बन रहा है। इसके साथ ही इस शुभ दिन पर सर्वार्थ सिद्धि नामक योग और वर्धमान योग भी लग रहा है। इस बार इस दिन कृतिका नक्षत्र एवं परिध योग का संयोग होने से इस दिन पूर्णिमा का अत्यन्त शुभ महत्व रहेगा। चंद्र-बृहस्पति का गजकेसरी योग का विशेष महत्व दान-पुण्य करने में रहेगा। इसी दिन चंद्र का प्रातः काल 8:15 पर मेष राशि से वृष राशि मे उच्च का होकर आना अत्यंत सौभाग्यवर्धक योग रहेगा। पूर्णिमा पर उच्च राशि के चंद्र का होना भी अपने आप में बेहद शुभ योग माना गया है।
पूर्णिमा काल : कार्तिक मास की पूर्णिमा को परम पवित्र तिथि माना गया है। इस दिन सूर्य के विशाखा नक्षत्र के रहते कार्तिक पूर्णिमा तिथि 18 नवंबर 2021 गुरुवार दिन के 11:20 से अगले दिन 19 नवंबर 2021 शुक्रवार दोपहर 1:09 पूर्णिमा रहेगा। वही कृतिका नक्षत्र रात्रि 1 : 22 से 19 को रात्रि 4 बजे तक रहने से “पद्ममक नामक” योग रहेगा।
इस दिन स्नान एवं दान का शुभ मुहूर्त प्रातः काल 4:48 बजे से 10:45 बजे तक है। और मध्याह्न काल 12:05 बजे से अपराह्न 1:24 बजे तक है।
कार्तिक पूर्णिमा और शिव पूजन :
कार्तिक पुर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा दी गई है क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे। मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की कृपा प्राप्त होती है।
कार्तिक पूर्णिमा और लक्ष्मी-नारायण पूजा :
इस शुभ दिन पूर्णिमा को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। कार्तिक पूर्णिमा पर व्रत रखने से सूर्य लोक की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी नारायण का पूजन करने से घर- परिवार में सुख और शांति के साथ संवृद्धि लाती है। जिन्हें लक्ष्मी की कामना हो आज लक्ष्मी पूजन और श्रीसूक्त और पुरुशुक्त का 16 पाठ अवश्य करें।
चंद्रमा दर्शन और अर्घ:-
जिनके जन्मकुंडली में चंद्रमा अस्त हो। पापिग्रहो कि साथ हो, ग्रहण दोष, पितृ दोष या श्रापित दोष हो। आज चाँद का पूजन और अर्घ देने से बहुत राहत मिलता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र दर्शन करने के साथ ही अर्घ्य देखर उनकी आराधना का भी विधान है। पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के बाद चंद्र दर्शन कर चंद्रमा की शीतलता लेने से मन को शीतलता प्रदान होती है और शरीर रोग मुक्त होता है। खास कर जिन्हें मानसिक तनाव हो आज अर्घ दे और 32 मिनेट चंद्रमा के प्रकाश में रहें।
तुलसी पूजन का महत्व:-
पूर्णिमा के अवसर पर तुलसी पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन तुलसी के समीप दीप जला कर, उनके जड़ की मिट्टी का तिलक लगाना चाहिए ऐसा करने से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं। इसलिए इस दिन तुलसी पूजन से घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता का आगमन होता है। जिनका विवाह नही हो रहा हो तो आज तुलसी पूजन से जल्द विवाह होता है।
देव दीपावली और दीप दान:-
कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के नाम से भी जाना है। इसलिए इस दिन दीपदान करना शुभ माना गया है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी नदी या सरोवर के किनारे दीपदान करने से जीवन मे खुशहाली और जीवन प्रकाशित होता है।
कार्तिक पूर्णिमा और गंगा स्नान का विशेष महत्व:-
पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है मान्यता है। इस दिन सभी देवी- देवता पृथ्वी पर आकर गंगा स्नान करते हैं। इसलिए गंगा स्नान को कार्तिक पूर्णिमा के दिन पुण्यप्रद बताया गया है।यदि गंगा स्नान सम्भव नही हो तो किसी पात्र में गंगाजल लेकर उससे स्नान भी गंगा स्नान का फल मिलता है।
कार्तिक पूर्णिमा और अन्न दान :
अन्न दान का महत्व सभी धर्मों और ग्रंथो में बताया गया है। खास कर कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान के साथ-साथ अन्न का दान करन विशेष रूप से फलदायी माना गया है। इस दिन अपनी क्षमता और स्थिति को देखते हुए अन्न, वस्त्र का दान करना शुभ होता है। पूर्णिमा के दिन चावल का दान करने का अधिक महत्व है। इस अवसर पर दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। घर में सुख और लक्ष्मी का वास होता है।
कार्तिक पूर्णिमा में गंगा स्नान और दीप दान इस वर्ष है खास :
आज के दिन को अर्थात कार्तिक पूर्णिमा को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य ने “महापुनीत पर्व” बताया है। इस वर्ष पूर्णिमा को चंद्र-बृहस्पति का गजकेसरी योग का विशेष महत्व है, दान-पुण्य और दीप दान के लिए। वहीं पूर्णिमा के दिन तीर्थ स्नान विशेषकर पुष्कर-तीर्थ में स्नानदान एवं जपादि करना विशेष पुण्यदायक होता है। गंगा स्नान के बाद दीप-दान का फल दस यज्ञों के समान होता है। इसलिए गंगा स्नान, दीप-दान, होम, यज्ञ तथा उपासना आदि का विशेष महत्व है। इस दिन संध्या काल में त्रिपुरोत्सव करके दीप-दान करने से पुर्नजन्मादि का कष्ट नहीं होता। इस दिन चन्द्रोदय पर शिवा, सम्भूति, प्रीती, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृर्तिकाओं का अवश्य पूजन करना चाहिए। कार्तिका पूर्णिमा से प्रारम्भ करके प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। पूर्णिमा के दिन गाय, घी, अनाज आदि दान करने से सम्पत्ति में बढ़ोत्तरी होती है। कार्तिक पूर्णिमा वर्षभर की पवित्र पूर्णमासियों में से एक है।इस दिन सूर्य स्तोत्र, गुरु स्तोत्र , सूर्य एवं गुरु -गायत्री मंत्र का पाठ तथा ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का यथासंभव दान,जप करना पुण्यप्रद है।
प्रसिद्ध ज्योतिष
आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम, अरगोड़ा, राँची
8210075897