रांची : झारखंड और आसपास के आदिवासी क्षेत्रों में आज करमा पर्व (Karma Parv 2024)बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. करमा पर्व, जो मुख्यतः आदिवासी समुदायों द्वारा मनाया जाता है, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह पर्व झारखंड, बिहार, ओडिशा और मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में विशेष रूप से मनाया जाता है. प्रकृति पर्व करमा आज 14 सितंबर को रांची समेत झारखंड के विभिन्न इलाकों में धूमधाम से मनाया जा रहा है. बारिश के बावजूद आदिवासी समुदायों में करमा पर्व को लेकर विशेष उत्साह देखा जा रहा है.
करमा पूजा विधि
करमा पर्व के अवसर पर घर की सफाई के बाद पूजा स्थल पर गाय के गोबर से स्थान को शुद्ध किया जाता है. इसके बाद करम की डाली को पूजा स्थल पर गाड़ा जाता है. बहनें एक थाली सजाकर करम देव की पूजा करती हैं और अपने भाइयों की सुख-समृद्धि तथा प्रगति के लिए प्रार्थना करती हैं. पूजा के बाद कर्म और धर्म से संबंधित पौराणिक कहानियां सुनाई जाती हैं और अच्छे कर्मों के महत्व तथा उनके परिणामों पर चर्चा की जाती है. इस पर्व की एक अनोखी विशेषता यह है कि विवाहित महिलाएं इसे अपने मायके में मनाती हैं.
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करमा पर्व का महत्व
करमा पर्व के दौरान अविवाहित लड़कियां उपवास रखती हैं और इस उपवास के माध्यम से फसलों की रक्षा करती हैं. उनका मानना है कि यदि यह पूजा और व्रत ईमानदारी से किया जाए, तो अच्छे पति मिलने की संभावना बढ़ जाती है. इसके साथ ही वे परिवार की भलाई और सुरक्षा के लिए भी उपवास करती हैं. आदिवासी समुदायों का मानना है कि इस पर्व से उन्हें सुखी वैवाहिक जीवन और स्वस्थ संतान की प्राप्ति होती है. करमा पर्व आदिवासी संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है और इसके माध्यम से धार्मिक आस्थाओं और सांस्कृतिक परंपराओं को सहेजने की कोशिश की जाती है.
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