नई दिल्ली। कारगिल युद्ध को 23 साल हो चुके हैं। आज ही के दिन भारत को इस युद्ध में विजय मिली थी। जिस इलाके में ये युद्ध लड़ा गया। वहां सर्दियों में -50 तक तापमान चला जाता है। सर्दियों के मौसम में इन इलाकों को खाली कर दिया जाता था। इसी का फायदा उठाकर पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की गई। इस घुसपैठ में पाकिस्तान की सेना ने भी मदद की।
3 मई 1999 ये वो तारीख है जब हिन्दुस्तान को इस घुसपैठ का पता चला। दरअसल कुछ स्थानीय चरवाहों ने भारतीय सेना के लोगों को इसके बारे में बताया। इसके बाद शुरू हुआ तनाव और संघर्ष 84 दिन चला। 84 दिन बाद 26 जुलाई 1999 को भारत को जीत मिली।
तीन मई को घुसपैठियों के दिखने की सूचना मिलने के बाद पांच मई 1999 को भारतीय सेना ने पेट्रोलिंग पार्टी को घुसपैठ वाले इलाके में भेजा। पेट्रोलिंग पार्टी जब घुसपैठ वाले इलाके में पहुंची तो घुसपैठियों ने पांचों जवानों को शहीद कर दिया। शहीद जवानों के शव से बर्बरता भी की गई। घुसपैठिए लेह-श्रीनगर हाईवे पर कब्जा कर लेना चाहते थे। इसके जरिए वह लेह को बाकी हिन्दुस्तान से काट देना चाहते थे।
9 मई को कारगिल जिले में पाकिस्तानी सेना का तोप का गोला गिरा और भारत के गोला बारूद डीपो को उड़ा दिया।
10 मई 1999 को द्रास, काकसर, बटालिक सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों को देखा गया। उस वक्त ये अंदाजा लगाया गया कि करीब 600 से 800 घुसपैठिये भारतीय चौकियों पर कब्जा कर चुके हैं।
15 मई 1999 के बाद कश्मीर के अलग-अलग इलाकों से सेना को भेजने की शुरुआत हुई।
26 मई को भारतीय वायुसेना ने घुसपैठियों पर जमकर बमबारी की।
27 मई को दो भारतीय लड़ाकू विमानों को पाकिस्तानी सेना ने मार गिराया। फ्लाइट लेफ्टिनेंट के नचिकेता को पाकिस्तान ने युद्धबंदी बना लिया। वहीं, स्क्वॉड्रन लीडर अजय अहूजा शहीद हो गए।
31 मई 1999 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का बयान आया। उन्होंने कहा कि कश्मीर में युद्ध जैसे हालात बन चुके हैं।
3 जून 1999 को पाकिस्तान ने भारत के दबाव में फ्लाइट लेफ्टिनेंट के नचिकेता को भारत को सौंप दिया।
5 जून 1999 को घुसपैठियों की शक्ल में पाकिस्तान सेना के शामिल होने के सबूत भारत ने दुनिया को दिखाए। तीन पाकिस्तानी सैनिकों के पहचान पत्र भारत ने दुनिया को दिखाए।
6 जून को भारत ने पाकिस्तानी घुसपैठियों पर हमला तेज किया। भारत ने द्रास-कारगिल सेक्टर में घुसपैठियों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया।
9 जून को बाल्टिक सेक्टर में भारतीय सेना ने दो बेहद अहम चोटियों को फिर से हासिल कर लिया।
11 जून को भारत ने पाकिस्तानी सेना के प्रमुख परवेज मुशर्रफ के घुसपैठ के प्लान में शामिल होने के सबूत सार्वजनिक किए। इससे पहले पाकिस्तान सरकार और सेना घुसपैठ में अपना हाथ होने से इनकार कर रही थी। भारत ने एक बातचीत इंटरसेप्ट करके पाकिस्तान की साजिश का खुलासा किया।
13 जून को भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर में तोलोलिंग चोटी पर फिर से कब्जा किया। ये इस युद्ध के बेहद मुश्किल ऑपरेशन में से एक था। भारत के खुलासे के बाद पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने लगा था।
29 जून को भारत ने टाइगर हिल्स के पास की दो अहम चोटियों पर फिर से कब्जा कर लिया।
4 जुलाई को भारतीय सेना ने टाइगर हिल्स पर तिरंगा फहराया। करीब 11 घंटे तक लगातार चली लड़ाई के बाद भारतीय सेना ने इस अहम पोस्ट पर अपना कब्जा जमाया।
5 जुलाई को भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर पर कब्जा जमाया। ये सेक्टर रणनीतिक रूप से बेहद अहम था।
7 जुलाई को बाटलिक सेक्टर में जुबर पहाड़ी पर भारतीय सेना ने फिर से कब्जा जमाया। सात जुलाई को ही एक अन्य ऑपरेशन के दौरान कैप्टन विक्रम बत्रा शहीद हुए।
11 जुलाई को भारतीय सेना ने बाटलिक सेक्टर की लगभग सभी पहाड़ियों की चोटियों को फिर से अपने कब्जे में ले लिया।
12 जुलाई को युद्ध हारते पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत के सामने बातचीत की पेशकश की।
14 जुलाई को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को भारतीय क्षेत्र से पूरी तरह से खदेड़ दिया। भारत ने अपने सभी इलाकों को वापस हासिल कर लिया।
26 जुलाई को भारत ने कारगिल युद्ध को जीतने की घोषणा कर दी।
18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया युद्ध भारतीय सेनाओं के पराक्रम की गाथा कहता है।