JoharLive Teem : आज से ठीक 20 वर्ष पहले 26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी। इस दिन को हर वर्ष विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। करीब दो महीने तक चला कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर देशवासी को गर्व है। करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में देश ने 527 से ज्यादा वीर योद्धाओं को खोया था, वहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे।
कारगिल जम्मू एवं कश्मीर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। वैसे यह स्थान मुख्य से बौद्ध पर्यटन केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है। यहां बौद्धों के कई प्रसिद्ध मठ स्थित है। मठों के अतिरिक्त यहां कई अन्य चीजें भी घूमने लायक है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। ट्रैकिंग का शौक रखने वालों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। कारगिल जिला कश्मीर घाटी के उत्तर-पूर्व पर स्थित है। यह स्थान श्रीनगर से 205 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कारगिल 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध से चर्चा में आया था।
वैसे तो पाकिस्तान ने इस युद्ध की शुरुआत 3 मई 1999 को ही कर दी थी जब उसने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर 5,000 सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था। इस बात की जानकारी जब भारत सरकार को मिली तो सेना ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया।
भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया। इसके बाद जहां भी पाकिस्तान ने कब्जा किया था वहां बम गिराए गए। इसके अलावा मिग-29 की सहायता से पाकिस्तान के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलों से हमला किया गया।
इस युद्ध में बड़ी संख्या में रॉकेट और बम का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान करीब दो लाख पचास हजार गोले दागे गए। वहीं 5,000 बम फायर करने के लिए 300 से ज्यादा मोर्टार, तोपों और रॉकेट लांचर का इस्तेमाल किया गया। लड़ाई के 17 दिनों में हर रोज प्रति मिनट में एक राउंड फायर किया गया। बताया जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यही एक ऐसा युद्ध था जिसमें दुश्मन देश की सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी।
3 मई,1999: एक चरवाहे ने भारतीय सेना को कारगिल में पाकिस्तान सेना के घुसपैठ कर कब्जा जमा लेने की सूचनी दी।
5 मई: भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम जानकारी लेने कारगिल पहुंची तो पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया और उनमें से पांच की हत्या कर दी।
9 मई: पाकिस्तानियों की गोलाबारी से भारतीय सेना का कारगिल में मौजूद गोला बारूद का स्टोर नष्ट हो गया।
10 मई: पहली बार लद्दाख का प्रवेश द्वार यानी द्रास, काकसार और मुश्कोह सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों को देखा गया।
26 मई: भारतीय वायुसेना को कार्रवाई के लिए आदेश दिए गए।
27 मई: कार्रवाई में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया, लेकिन फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को बंदी बना लिया।
28 मई: एक मिग-17 हेलीकॉप्टर पाकिस्तान द्वारा मार गिराया गया और चार भारतीय फौजी मारे गए।
1 जून: एनएच- 1अ पर पाकिस्तान द्वारा भारी गोलाबारी की गई।
5 जून: पाकिस्तानी रेंजर्स से मिले कागजातों को भारतीय सेना ने अखबारों के लिए जारी किया, जिसमें पाकिस्तानी रेंजर्स के मौजूद होने का जिक्र था।
6 जून: भारतीय सेना ने पूरी ताकत से जवाबी कार्यवाई शुरू कर दी।
9 जून: बाल्टिक क्षेत्र की 2 अग्रिम चौकियों पर भारतीय सेना ने फिर से कब्जा जमा लिया।
11 जून: भारत ने जनरल परवेज मुशर्रफ और आर्मी चीफ लेफ्टीनेंट जनरल अजीज खान से बातचीत की रिकॉर्डिंग जारी किया, जिससे जिक्र है कि इस घुसपैठ में पाक आर्मी का हाथ है।
13 जून: भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर में तोलोलिंग पर कब्जा कर लिया।
15 जून: अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने परवेज मुशर्रफ से फोन पर कहा कि वह अपनी फौजों को कारगिल सेक्टर से बाहर बुला लें।
29 जून: भारतीय सेना ने टाइगर हिल के नजदीक दो महत्त्वपूर्ण चौकियों प्वाइंट 5060 और प्वाइंट 5100 पर फिर से कब्जा कर लिया।
2 जुलाई: भारतीय सेना ने कारगिल पर तीन तरफ से हमला बोल दिया।
4 जुलाई: भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर पुन: कब्जा पा लिया।
5 जुलाई: भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर पर पुन: कब्जा किया। इसके तुरंत बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने बिल क्लिंटन को बताया कि वह करगिल से अपनी सेना को हटा रहे हैं।
7 जुलाई: भारतीय सेना ने बटालिक में स्थित जुबर हिल पर कब्जा पा लिया।
11 जुलाई: पाकिस्तानी रेंजर्स ने बटालिक से भागना शुरू कर दिया।
14 जुलाई: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ऑपरेशन विजय की जीत की घोषणा कर दी।
26 जुलाई: तत्कालीन प्रधानमंत्री ने इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाए जाने का एलान किया।