रांची : 28 जनवरी से होने वाली सातवीं से 10वीं जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा स्थगित कर दी गई है। पीटी परीक्षा में आरक्षण देने के बिंदु पर झारखंड हाइकोर्ट में अपील करनेवाले के किए गए दावों की जांच की जायेगी। झारखंड हाइकोर्ट में सुनवाई के दौरान जेपीएससी की ओर से मंगलवार को हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी गयी। झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में सातवीं से 10वीं जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण देने के मामले में दायर अपील पर सुनवाई हुई।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 15 फरवरी को होगी। मालूम हो कि जेपीएससी प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण के खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन व जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता एके दास ने पक्ष रखा। इस दौरान जेपीएससी की ओर से बताया गया कि प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण देने के बिंदु पर अपीलकर्ता द्वारा किए गए दावों की जांच की जायेगी।
मालूम हो कि सोमवार को भी झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में सातवीं से 10वीं जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा की पीटी में आरक्षण मामले को लेकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हुई थी, जिसमें खंडपीठ ने जेपीएससी से पूछा था कि अनारक्षित वर्ग के 114 रिक्ति के विरुद्ध 15 गुना रिजल्ट क्यों नहीं दिया गया? इसे लेकर मंगलवार को शपथ पत्र दायर करने को कहा गया था।
कुमार सन्यम ने दायर की थी याचिका
प्रार्थी कुमार सन्यम की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखते हुए सोमवार को खंडपीठ को बताया था कि नियमावली व विज्ञापन में कहीं भी प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण का लाभ देने की बात नहीं कही गई है। इसके बावजूद जेपीएससी ने प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण का लाभ देते हुए रिजल्ट निकाला है। इसमें सामान्य कैटेगरी के 114 सीट के विरुद्ध 15 गुना यानि 1710 अभ्यर्थियों को सफल होना चाहिए था, लेकिन 768 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया है। शेष पदों पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए हैं। मालूम हो कि प्रार्थी कुमार सन्यम ने याचिका दायर कर सातवीं से 10वीं जेपीएससी पीटी में आरक्षण का लाभ देने को चुनौती दी है।