सत्य शरण मिश्रा
रघुवर सरकार ने 3 करोड़ में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा लगवाई, लेकिन देखने नहीं आ रहे पर्यटक
गंदगी और बदबू बन गई है बड़ा तालाब की पहचान, आसपास से गुजरना भी नहीं चाहते लोग
रांची : राजधानी का बड़ा तालाब अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. यह ऐतिहासिक तालाब कभी रांची की शान हुआ करता था. पर्यटन स्थल की तरह गुलजार रहने वाला तालाब आज वीरान पड़ा है. अब लोग इससे कतराने लगे हैं. इसके पास से गुजरने से बचने लगे हैं. क्योंकि अब गंदगी और बदबू इसकी पहचान बन गई है. पिछले एक पखवाड़े से तालाब के पानी से बदबू आ रहा है. आसपास के दर्जनों मोहल्लों के लोग दिन रात बदबू से परेशान हैं. सरकार और नगर निगम को कोस रहे हैं. कई संगठनों ने आगे आकर विरोध-प्रदर्शन किया, लेकिन नगर निगम अबतक लोगों को बदबू से निजात दिलाने के लिए कुछ नहीं कर सका है. पिछले दो दशकों में इस तालाब के सौंदर्यीकरण, सफाई के नाम पर 41 करोड़ से अधिक खर्च हो चुके हैं. भाजपा की रघुवर सरकार ने बड़ा तालाब को पर्यटन स्थल बनाने के लिए 2.96 करोड़ की लागत से स्वामी विवेकानंद की 33 फीट उंची प्रतिमा लगवाई, लेकिन तालाब की गंदगी और बदबू की वजह से पर्यटक बड़ा तालाब के आसपास दिखते ही नहीं हैं.
झारखंड में जितनी भी सरकारें बनी सबने बड़ा तालाब को सुंदर और साफ बनाने के लिए योजना तैयार की. हर साल करोड़ों रुपये खर्च किये गये और करोड़ों रुपये के बंदरबांट हुए. 2014 में आई भाजपा की सरकार ने भी बड़ा तालाब को संवारने की योजना बनाई थी. इस योजना में 31.5 करोड़ रुपये खर्च किये गये. 15.5 करोड़ रुपए तालाब पर ब्रिज बनाने, मूर्ति स्थापित करने और तालाब के आधारभूत संरचना को बेहतर करने में खर्च हुआ. वहीं 13 करोड़ बड़ा तालाब के चारदीवारी निर्माण पर खर्च करने की योजना बनी. कुछ काम हुए और कुछ अधूरे रह गये. खैर विवेकानंद की प्रतिमा लगने के बाद उम्मीद थी कि अब तालाब के दिन बहुरेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. रांची नगर निगम आज तक तालाब को पूरी तरह साफ नहीं कर पाई.
1842 में ब्रिटिश कर्नल ओन्सली ने 52 एकड़ में रांची तालाब का निर्माण कराया गया था. तब इसकी गहराई लगभग 30 फीट थी. लेकिन अब इसकी गहराई घटकर 15 फीट के आसपास हो गई है. रांची झील की गहराई में कमी के साथ ही आसपास के इलाकों में भूजल स्तर में भी गिरावट आई है. जिसके कारण आसपास के घरों में मौजूद कुआं सूख गया है. गर्मी के मौसम में बोरिंग फेल हो जा रहा है. वहीं 3.1 करोड़ रुपये में तालाब से गाद निकालने के लिए एमफीबियस एक्सकेवेटर मशीन खरीदी गई है. दावा किया गया कि 50 फीट की गहराई से भी यह मशीन गाद निकाल लेगा, लेकिन तालाब से गाद खत्म हो ही नहीं रहा है.
बड़ा तालाब की दुर्दशा के पीछे रांची नगर निगम और नगर विकास विभाग का बहुत बड़ा हाथ रहा है. इसे सुंदर बनाने की योजनाएं बना-बना कर कर और बदसूरत और बदबूदार बना दिया गया. इन्हीं लापरवाहियों की वजह से कभी तालाब में ऑक्सीजन की कमी से मछलियां मरने लगती हैं, तो कभी गंदगी और बदबू से आम लोग परेशान होते हैं. हर साल सैकड़ों संगठन और स्वयंसेवी संस्था बड़ा तालाब को बचाने के लिए सत्याग्रह, आंदोलन और प्रदर्शन करते हैं, लेकिन होता कुछ भी नहीं है. स्थानीय सांसद और विधायक बस सालों से आश्वासन की घुट्टी पिलाते आ रहे हैं.
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