JoharLive Desk

नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए यह तय किया है कि वह जेएनयू देशविरोधी नारेबाजी मामले में देशद्रोह का केस चलाने की अनुमति दिल्ली पुलिस को नहीं देगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने इस मामले में अपनी राय दी है। उनका ये कहना है कि पुलिस ने जो सबूत पेश किए हैं उससे कन्हैया कुमार, उमर खालिद समेत अन्य आरोपी छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमा नहीं बनता है।
साल 2016 के इस मामले में जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और नौ लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा दायर किया गया है। बता दें कि किसी पर भी देशद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है। सिर्फ पुलिस की चार्जशीट पर अदालत संज्ञान नहीं ले सकती। ऐसे में सरकार की मंजूरी न होने पर देशद्रोह की धारा रद्द हो जाती है।

अब मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आ रही है कि दिल्ली सरकार कन्हैया कुमार व अन्य पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं देगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली सरकार के इस विचार से अदालत, दिल्ली पुलिस और उपराज्यपाल सभी को अवगत कराया जाएगा। गौरतलब है
देशद्रोह के मामले में दिल्ली सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य है। जानकारों का कहना है कि दिल्ली सरकार की अनुमति मिलने तक कोर्ट चार्जशाीट में देशद्रोह वाली धारा पर संज्ञान नहीं लेगा। अगर दिल्ली सरकार ने अनुमति नहीं दी तो देशद्रोह की धारा स्वतरू खत्म हो जाएगी। दिल्ली सरकार की अनुमति लिए बिना ही चार्जशीट दाखिल करने पर सवाल भी उठ रहे हैं।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चार्जशीट में कई आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह की धारा 124ए लगाई गई है। इस धारा में कोर्ट सीआरपीसी की धारा 196 के तहत तभी संज्ञान ले सकता है, जब दिल्ली सरकार की अनुमति मिली हो।

इसके बिना कोर्ट देशद्रोह की धारा 124ए पर संज्ञान नहीं लेगा और यह स्वतरू खत्म हो जाएगी। दिल्ली सरकार की अनुमति न मिलने की स्थिति में कोर्ट देशद्रोह की धारा छोड़कर अन्य धाराओं पर संज्ञान लेगा।
दिल्ली सरकार की अनुमति नहीं मिलने पर भी कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने के सवाल पर स्पेशल सेल के अधिकारियों का कहना था कि देशद्रोह की धारा में तीन वर्ष से लेकर दस वर्ष तक की सजा है।
चार्जशीट दाखिल करने में तीन वर्ष का समय हो गया था। समय से कोर्ट में चार्जशीट दाखिल नहीं की जाती तो देशद्रोह की धारा टिकती नहीं।
नहीं मिली अनुमति तो साबित होगी लापरवाही
इस संबंध में हाईकोर्ट के अधिवक्ता एमएस खान ने एक बार बताया था कि देशद्रोह की धाराओं में दिल्ली सरकार व उपराज्यपाल की अनुमति लेना जरूरी है। अनुमति मिलने के बाद ही कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान लेगा।

दिल्ली सरकार ने अनुमति नहीं दी तो कोर्ट संज्ञान नहीं लेगा। इन हालात में कोर्ट अन्य धाराओं में संज्ञान ले लेगा। दिल्ली सरकारी ने अनुमति नहीं दी तो यह पुलिस की बहुत बड़ी लापरवाही होगी और इसका असर केस पर पड़ेगा।

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