Joharlive Team
रांचीः झारखंड में गर्म होते खतियान के मुद्दे पर झामुमो ने अपना स्टैंड स्पष्ट करने का प्रयास किया है। सोमवार को झामुमो विधायक स्टीफन मरांडी ने कहा कि 1932 का खतियान जरूरी नहीं है। स्थानीय नीति में आने के लिए जमीन का कागज होने जरूरी हैं। स्टीफन मरांडी दुमका के स्थापना दिवस के अवसर पर गांधी मैदान से लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि चाहे 1932 का हो या 1964 का, यदि किसी के पास जमीन के कागज हैं, तो वह स्थानीय नीति का लाभ उठा सकेगा।
स्टीफन मरांडी के संबोधन को झामुमो का स्टैंड बताया जा रहा है, और माना जा रहा है कि सरकार का भी यही स्टैंड है। हालांकि अभी तक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस बारे में कुछ भी नहीं कहा है। लेकिन झारखंड की नई सरकार ने 1932 के खतियान क्रेडिट लाइन पर अपना रुख नर्म कर लिया है।
बता दें कि 2 सप्ताह पहले झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने दो बार कहा था कि झारखंड में स्थानीय नीति का आधार 1932 का खतियान होना चाहिए। इसके बाद स्थानीय नीति का मुद्दा गर्म हुआ और तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे।मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि दिसोम गुरु ने किस परिपेक्ष में यह कहा है, इसे देखना होगा। इसके करीब 2 सप्ताह बाद सोमवार को विधायक स्टीफन मरांडी ने सरकार का स्टैंड स्पष्ट किया है।
इधर स्टीफन मरांडी ने रघुवर दास पर भी निशाना साधा और कहा कि मोमेंटम झारखंड की आड़ में हुए घोटाले की हकीकत सामने लाई जाएगी और पिछली सरकार के कार्यकाल में हुए सारे घोटालों को उजागर किया जाएगा।
स्थानीय नीति के ही पेंच में फंसी थी भाजपा सरकार –
यह कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा सरकार भी स्थानीय नीति के पेंच में फंसी थी। रघुवर के नेतृत्व में स्थानीय नीति का आधार 1985 को बताया गया था। यानी कि 1985 के पहले जो झारखंड में आया वह स्थानीय और बाद में आने वाले बाहरी। यह भी एक वजह रही कि भाजपा सरकार को इस बार राज्य की जनता ने नकार दिया। हेमंत भी स्थानीय नीति पर फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़े।
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