रांची : झारखंड के गांव देहात में लोगों का ईलाज झोलाछाप डॉक्टर से कराते हुए सुना और देखा होगा. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि झारखंड के पशुओं का ईलाज भी झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे हैं. राज्य़ में फिलहाल 3500 के लगभग झोलाछाप पशु चिकित्सक हैं. राज्य में पशु चिकित्सकों के 778 पद सृजित हैं, जिसमें 378 पद खाली हैं. लेकिन पशुधन की संख्या के हिसाब से राज्य में लगभग 2500 पशु चिकित्सकों की जरूरत है.
पशु चिकित्सा परिषद खुद है लाचार
झारखंड में झोलाछाप पशु चिकित्सकों पर लगाम लगाने की जिम्मेवारी झारखंड राज्य पशु चिकित्सा परिषद की है. लेकिन झारखंड वेटरनरी काउंसिल के लिए 14 पद सृजित हैं. लेकिन इस पर तीन लोग ही कार्यरत हैं.
झारखंड में 1.40 करोड़ है कैटल यूनिट
पशु गणना के अनुसार, झारखंड में एक करोड़ 40 लाख 01 हजार 42 कैटल यूनिट हैं. नेशनल एग्रीकल्चर कमीशन के अनुसार, हर 5,000 कैटल यूनिट पर एक पशु चिकित्सक का होना जरूरी है. इस हिसाब से राज्य में लगभग 2500 पशु चिकित्सकों का होना जरूरी है.
राज्य में पशुओं की संख्या
दुधारू गौवंशीय पशु (कैटल) की संख्या है 111.88 लाख
भैंस की संख्या 13.50 लाख
भेड़ की संख्या 6.41 लाख
बकरियों की संख्या 91.21 लाख
सुकर की संख्या 12.76 लाख
कुक्कुटों की संख्या 230.32 लाख
बत्तख और अन्य की संख्या 16.93 लाख