रांची : झारखंड की शराब नीति और जमीन घोटाला ने झारखंड की सियासी चाल ही बदल दी है. सीएम से लेकर ब्यूरोक्रेट्स तक इसके लपेटे में आ गए हैं. ईडी भी एक्शन में है. ईडी ने जमीन घोटाला मामले में सीएम को चौथा समन जारी कर 23 सितंबर को पूछताछ के लिए फिर बुलाया गया है. ईडी बनाम सीएम हेमंत सोरेन के बीच शुरू हुई कानूनी लड़ाई बेहद दिलचस्प होने जा रही है. इससे पहले ईडी ने सीएम को 14 अगस्त, 24 अगस्त और 9 सितंबर को रीजनल ऑफिस आने के लिए समन भेजा था. इस पर मुख्यमंत्री की ओर से हर समन का जवाब भी दिया गया था. पहले समन पर उन्होंने ईडी को पत्र लिखकर कई गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि अगर समन को वापस नहीं लिया गया तो वह कानून का सहारा लेंगे. इसके बाद दोबारा समन जारी होने पर सीएम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी.
तत्कालीन कमिश्नर की रिपोर्ट के आधार पर शुरू हुई है जांच
ईडी ने जमीन घोटाले की जांच दक्षिणी छोटानागपुर के तत्कालीन आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी की रिपोर्ट के आधार पर शुरू की थी. सेना के कब्जे वाली जमीन मामले की जांच कर आयुक्त ने रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख था कि फर्जी नाम-पता के आधार पर सेना की जमीन की खरीद-बिक्री हुई है. रांची नगर निगम ने मामले को लेकर प्राथमिकी दर्ज करायी थी. ईडी ने उसी प्राथमिकी को ईसीआईआर के रूप में दर्ज कर जांच शुरू की थी.
शराब नीति ने भी किया बंटाधार
छ्त्तीसगढ़ शराब कंसलटेंट, सप्लायरों और झारखंड के उत्पाद विभाग पर झारखंड के सरकारी राजस्व को 450 करोड़ रुपए से अधिक का उत्पाद राजस्व का घाटा का आरोप है. झारखंड में नयी शराब नीति के सलाहकार अरुण पति त्रिपाठी ही छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का सरगना बताये जाते हैं. उस पर आरोप है कि वह केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ राज्य की सहमति के बिना ही झारखंड में सलाहकार बने थे. नियमानुसार झारखंड में सलाहकार बनने के लिए उसे अपने मूल विभाग व छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति लेना आवश्यक था. उन पर छत्तीसगढ़ में कई गंभीर आरोप लगे हैं, जिसमें एक फर्जी कंपनी बनाकर छत्तीसगढ़ में होलोग्राम छापने का आरोप भी है. तीन कंपनियों का छत्तीसगढ़ शराब घोटाला केस में नाम सामने आ रहा है. झारखंड की शराब नीति में भी उनका सीधा हस्तक्षेप है. फिलहाल जिस शराब नीति पर झारखंड में शराब व्यापार चल रहा है वो भी ईडी की जांच के दायरे में है.
19 जिलों शराब बेचने का जिम्मा तीन जिले के काऱोबारियों को
हेमंत सरकार की पहली शराब नीति भी विवादों में रही. मामले को लेकर अब ईडी रेस है. शराब नीति पर कब्जा संथाल परगना के सिंडिकेट का है. जिसके किंगपिंग योगेंद्र तिवारी थे. कारोबारियों की लिस्ट और उनके बैंक डीटेल्स सामने आने से यह साफ हुआ कि शराब के थोक व्यापार पर संथाल का कब्जा था. सबसे चौंकानेवाली बात यह है कि ज्यादातर कारोबारियों ने जो बैंक डीटेल्स डिपार्टमेंट को दिये हैं, वो संथाल परगना के बैंकों के थे. झारखंड में 24 जिले हैं. इनमें से 19 जिलों में शराब के थोक व्यापार का जिम्मा गोड्डा, जामताड़ा और दुमका के कारोबारियों को मिला था. बाकी पांच जिलों में धनबाद और रांची से जुड़े व्यवसायियों को यह जिम्मा मिला था, लेकिन सभी 24 जिलों में काम करने वाले कारोबारियों का रिश्ता संथाल परगना से ही था.
किस जिले में किसे मिला शराब के थोक कारोबार का जिम्मा
जिला- कंपनी का नाम- बैंक का पता
रांची- कल्याणेश्वरी इंटरप्राइजेज धनबाद- जामताड़ा
कोडरमा- आनंद ट्रेडर जामताड़ा- मिहिजाम
सरायकेल-खरसावां जमानी इंटरप्राइजेज गोड्डा- जामताड़ा
खूंटी- गुमरो इंटरप्राइजेज दुमका- दुमका
गुमला- जमानी इंटरप्राइजेज गोड्डा- जामताड़ा
गढ़वा- रुपुचक इंटरप्राइजेज जामताड़ा- मिहिजाम
लातेहार- रुपुचक इंटरप्राइजेज जामताड़ा- मिहिजाम
पश्चिमी सिंहभूम- विश्वा इंटरप्राइजेज गोड्डा- जामताड़ा
पलामू- विश्वा इंटरप्राइजेज गोड्डा- जामताड़ा
धनबाद- बैद्यनाथ इंटरप्राइजेज जामताड़ा- मिहिजाम
बोकारो- गुप्ता ट्रेडर दुमका- मिहिजाम
दुमका- मैय्हर डेवलपर्स रांची- मिहिजाम
हजारीबाग- बाशुकीनाथ ट्रेडर्स दुमका- दुमका
पाकुड़- मैय्हर डेवलपर्स रांची- मिहिजाम
पूर्वि सिंहभूम- मैय्हर डेवलपर्स रांची- मिहिजाम
गिरिडीह- प्रशांत ट्रेडर्स दुमका- दुमका
चतरा- मिश्रा वाइन दुमका- दुमका
गोड्डा- मैय्हर होटल्स एंड प्राइवेट ली. देवघर-दुमका
रामगढ़- राजमहर ट्रेडर्स दुमका- मिहिजाम
देवघर- सरन अल्कोहल प्राइवेट ली दुमका- मिहिजाम
साहेबगंज- संजीत हेब्रम जामताड़ा-मिहिजाम
सिमडेगा- संथाल परगना बिल्डर्स प्राइवेट ली. रांची- दुमका
जामताड़ा- अमेंद्र तिवारी एचयूएफ जामताड़ा- मिहिजाम
लोहरदगा- विद्या वाणिज्य प्र.ली- दुमका