Joharlive Team
रांची : मुख्यमंत्री का यह निर्देश है कि रोजगारपरक उद्योग को बढ़ावा दिया जाय। ग्लोबल सम्मिट के बाद रांची में लगी अरविंद टेक्सटाइल फैक्ट्री से उत्पादित वस्त्र अब विदेशी बाजारों में अपनी पहुंच बनाने लगे हैं। मुख्य सचिव डॉ. डी के तिवारी ने कहा है कि अरविंद टेक्सटाइल ने नवंबर 2018 से उत्पादन शुरू कर अब तक सात करोड़ रुपये के वस्त्र बनाएं हैं। उसमें से 6 करोड़ के वस्त्र निर्यात किए हैं। मुख्य सचिव झारखंड मंत्रालय में झारखंड इंडस्ट्रियल एंड इनवेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी 2016 के तहत आयोजित हाई पावर कमिटी की बैठक में बोल रहे थे।
हर महीने फैक्ट्री में हो रहा रोजगार सृजन
मुख्य सचिव ने कहा कि रांची की अरविंद टेक्सटाइल फैक्ट्री में हर महीने झारखंडी कामगारों को रोजगार के नये अवसर मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि फैक्ट्री में वस्त्रों का उत्पादन वहां काम कर रहे झारखंडी कामगारों की मेहनत का नतीजा है। नवंबर 2018 में 855 झारखंडी कामगारों के साथ शुरू हुई। फैक्ट्री में हर महीने कुछ नये कामगार जुड़ते रहे हैं। जून 2019 तक इनकी संख्या दोगुनी से भी अधिक बढ़कर 1,873 तक पहुंच चुकी है।
पॉलिसी के तहत अरविंद टेक्सटाइल को मिली अनुदान की राशि
मुख्य सचिव ने बैठक में सरकार की पॉलिसी के अनुसार अरविंद टेक्सटाइल में कार्यरत कमिर्यों के ईपीएफ व ईएसआइ सहित फैक्ट्री की स्टांप ड्यूटी, निबंधन, पावर टैरिफ व इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी मद में अनुदान की 3.5 करोड़ रुपये को स्वीकृति प्रदान की।
जनरल इंडस्ट्रियल पार्क को दी स्वीकृति
मुख्य सचिव ने कहा कि हाई पावर कमिटी ने सरायकेला-खारसावां के कमालपुर और सिनी में 63.49 एकड़ क्षेत्र में निजी जनरल इंडस्ट्रियल पार्क निर्माण की स्वीकृति दी। इसका निर्माण मेजोरिटी इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड करेगा। इसकी कुल लागत 63 करोड़ 81 लाख रुपये आएगी। मुख्य सचिव ने कहा कि इससे उस क्षेत्र विशेष में रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे तथा व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ने से इलाके की आर्थिक उन्नति होगी।
फ्लिपकार्ट से हुए एमओयू को मिली स्वीकृति जल्द बढ़ेगा कारोबार
मुख्य सचिव ने कहा कि जल्द ही, ऑनलाइन मार्केटिंग में बड़ा नाम फ्लिपकार्ट अब झारखंड से भी अपने व्यवसाय को गति देगी। हाई पावर कमिटी ने राज्य की पॉलिसी के तहत हुए एमओयू को स्वीकृति दी। मुख्य सचिव ने कहा कि कंपनी राज्य के छोटे उद्यमों, कारीगर, बुनकर तथा शिल्पकारों द्वारा निर्मित उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर बाजार उपलब्ध कराएगी। इससे राज्य के कई परंपरागत उत्पादों को जहां राष्ट्रीय पहचान मिलेगी, वहीं कारीगरों और बुनकरों की आर्थिक स्थिति भी पहले से मजबूत होगी।