Ranchi : झारखंड विधानसभा में आज की कार्यवाही के दौरान विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने बिजली वितरण प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया, उन्होंने कहा कि ट्रांसफार्मर के खराब होने पर 24 घंटे के भीतर उसे ठीक करने का नियम है लेकिन जब ऐसा नहीं होता तो ग्राहकों को मुआवजा मिलना चाहिए। तिवारी ने यह भी बताया कि विभाग के पास अतिरिक्त ट्रांसफार्मर नहीं होते है, जिससे खराब ट्रांसफार्मर को बदलने में 10 दिन तक का समय लग जाता है और इसकी लागत लगभग 30,000 रुपये होती है।
इस पर राज्य के ऊर्जा मंत्री, योगेंद्र प्रसाद ने स्वीकार किया कि ट्रांसफार्मर की मरम्मत में कभी-कभी देरी होती है, उन्होंने कहा कि सरकार इसे 2025-26 तक सुधारने के लिए ठोस कदम उठाएगी। मंत्री ने बताया कि ट्रांसफार्मर की खराबी पर यदि 24 घंटे में समाधान नहीं होता है तो ग्राहकों को मुआवजा देने का प्रावधान है लेकिन अब तक किसी भी उपभोक्ता ने इस बारे में कोई दावा नहीं किया है। उन्होंने यह भी बताया कि एक नया सॉफ़्टवेयर सिस्टम विकसित किया गया है जो जल्द ही लागू हो जाएगा, ताकि ग्राहकों की समस्याओं का त्वरित समाधान हो सके।
विधायक तिवारी ने आरोप लगाया कि इस व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी है और आज तक किसी भी उपभोक्ता को मुआवजा नहीं मिला है। उनका कहना था कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही है और ट्रांसफार्मर के खराब होने के बाद उपभोक्ताओं को बेहद लंबा इंतजार करना पड़ता है। मंत्री ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि यदि किसी क्षेत्र में जल संकट है तो वहां तत्काल ट्रांसफार्मर बदलवा दिए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उपभोक्ता यदि हर्जाना चाहते हैं तो वे ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और उनका दावा सुलझाया जाएगा।
जिसके बाद विधायक ने यह सवाल उठाया कि सरकार के पास पर्याप्त ट्रांसफार्मर नहीं होते और जब कोई ट्रांसफार्मर खराब हो जाता है तो लोग सामूहिक रूप से चंदा जुटाकर उसे बदलवाते हैं, जिसके बाद रिपेयरिंग में कम से कम 10 दिन लग जाते हैं। मंत्री ने यह भी कहा कि जहां भी कोई गंभीर समस्या होगी वहां ट्रांसफार्मर को तुरंत बदला जाएगा।
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