JoharLive Team

दुमका। मसलिया प्रखंड की दलाही पंचायत के कालीपाथर गांव के लोग आजादी के 70 साल बाद भी नदी का पानी पी रहे हैं। ग्रामीण कालेश्वर मरांडी, प्रेम सोरेन, बलदेव मुर्मू, सुरेश सोरेन, अमर पंवरिया, दीदी हेम्ब्रम, राजसेन सोरेन, रावण मरांडी, बसोनि हेम्ब्रम, बानेश्वर मुर्मू, मुकतार मरांडी, मूसा मरांडी आदि ने पेयजल संकट को लेकर नाराजगी जाहिर की। कहा, आदिवासी बहुल क्षेत्र कालीपाथर में वर्तमान में मूलभूत सुविधाओं का घोर कमी है। पूरा गांव विकास राह का बाट जोह रहा है। राज्य के अलग हुए दो दशक बीतने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों की हालात नहीं बदली। पानी ही एक मात्र समस्या नहीं है सड़क, बिजली जैसी मूलभूत समस्याएं विद्यमान हैं। इसके लिए यहां के जनप्रतिनिधि के साथ भी जिला प्रशासन भी दोषी है। कालीपाथर आदिवासी टोला पहुंचने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है। बारिश में पूरा सड़क कीचड़ में तब्दील हो जाता है। किसी के बीमार पड़ने पर अस्पताल ले जाना भी मुश्किल होता है।
उन्होंने बताया कि गांव में 37 परिवार रहते हैं। बीते आठ महीने से गांव में बिजली नहीं आयी है। पेयजल के लिए गांव में दो चापाकल हैं, लेकिन दोनों खराब हैं। ग्रामीण उसमें गाय-बैल बांधते हैं। पंचायत में 14वें वित्त आयोग की राशि तो है पर पंचायत के मुखिया और सचिव को गांव से कोई सरोकार ही नहीं है। पूछने पर चुप्पी साध लेते हैं। बीडीओ संजय कुमार कहते हैं कि आचार संहिता लागू हो गया है, अब कुछ नहीं हो सकता।

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