JoharLive Team
रांची । झारखंड में लोकसभा चुनाव के दौरान बना विपक्षी गठबंधन बिखरने के कगार पर है। विधानसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर चल रही कवायद के बीच झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि उनकी पार्टी राज्य की सभी 81 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। मरांडी का कहना है कि झाविमो की अलग पहचान है। इस बार पार्टी राज्य में अपना परचम लहराएगी।
मरांडी ने पिछले माह रांची के प्रभात तारा मैदान में पार्टी की राज्य स्तरीय कार्यकर्ता सह जनादेश रैली में ही यह संकेत दे दिए थे कि पार्टी अकेले विधानसभा चुनाव में जा सकती है। उस रैली में मरांडी ने खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में भी पेश किया था।
झाविमो सूत्रों के अनुसार मरांडी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष व प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन को फिलहाल गठबंधन के नेता के रूप में प्रोजेक्ट करने के पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि हेमंत सारेन को मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश करने पर आदिवासी वोटों की गोलबंदी तो हो सकती है, लेकिन भाजपा विरोधी गैर आदिवासी वोट भाजपा की ओर शिफ्ट हो सकते हैं। गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर जो फॉर्मूला तय हो रहा है, वह भी मरांडी को स्वीकार नहीं है। तय फॉर्मूले के मुताबिक पिछले विधानसभा चुनाव में सीटिंग और दूसरे स्थान पर रही सीट संबंधित पार्टी के खाते में जाएगी। इस हिसाब से झाविमो को 13 सीट मिल रही है। यह मरांडी को मंजूर नही है। झाविमो ने पिछले चुनाव में आठ सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि पांच पर वह दूसरे स्थान पर रही थी।
दरअसल, लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही मरांडी ने विपक्षी गठबंधन के घटक दलों से दूरी बना रखी थी। उनका कहना है कि इस बीच उन्होंने हर जिले का दौरा कर बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने का काम किया है। उधर झामुमो भी चाहता है कि झाविमो को गठबंधन से दूर रखा जाय। झामुमो राष्ट्रीय जनता दल राजद और वा दलों को गठबंधन में शामिल करने के पक्ष में है। कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर झामुमो की बातचीत पहले से ही चल रही है, जो अब अंतिम दौर में है। कांग्रेस, रादज और वाम दल झामुमो के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने को तैयार हैं।
उल्लेखनीय है कि 2014 का विधानसभा चुनाव झाविमो ने 73 सीटों पर अकेले लड़ा था और उसने आठ सीटें जीती थीं। चुनाव जीतने के बाद इनमें से छह विधायक भाजपा में शामिल हो गये थे। बाकी बचे दो में से एक लातेहार विधायक प्रकाश राम ने भी हाल में भाजपा का दामन थाम लिया है। झाविमो में अब एकमात्र विधायक प्रदीप यादव ही बचे हैं। बीते दिन प्रदीप यादव ने हेमंत सोरेन से मुलाकात की थी। इसे लेकर भी उनके झामुमो में जाने की चर्चा गरम है। हालांकि यादव ने इससे इनकार किया है और कहा है कि वह गठबंधन के सिलसिले में सोरेन से मिलने गए थे। इसी के बाद मरांडी ने सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की बात कही है।
राजनीतिक गलियारों में लोग कहते हैं कि झारखंड की राजनीति में मरांडी एक मात्र ऐसे नेता हैं जो धारा के विरुद्ध चलना जानते हैं। विषम परिस्थितियों में भी वह राजनीति के मैदान से नहीं भागते। वह एकबार फिर राजनीति के मैदान में अपने को स्थापित करने में जुट गए हैं।