Joharlive Team
रांची। झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के नेशनल गोल्ड मेडलिस्ट तीरंदाज अनिल लोहार भी कोरोनाकाल में मजबूरी का शिकार होकर गरीबी में जीवन यापन करने को विवश हैं।
नेशनल गोल्ड मेडिलिस्ट तीरंदाज अनिल लोहार तीरंदाजी के क्षेत्र में बेहतर मुकाम हासिल करने के बावजूद घर चलाने के लिए मुर्गा बेचना पड़ रहा है। वहीं कोरोना बंदी के बीच पेयजल की समस्या होने पर वे अपनी पत्नी के साथ कुआं खोदने की कवायद में भी जुटे हैं। हालांकि इसके बाद भी तीरंदाजी उनका प्यार बनी हुई है।
सरायकेला के गम्हरिया प्रखंड के पिण्ड्राबेड़ा के रहनेवाले तीरंदाज अनिल लोहार गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं।घर की हालत ऐसी है कि उनके पास पेयजल की भी सुविधा नहीं है। ऐसे में उनके परिवार को गांव के प्राथमिक विद्यालय के चापाकल से पानी लाना पड़ता था।
कोरोनाबंदी के दौरान स्कूल बंद हो गया, तो इसकी भी दिक्कत हो गई। ऐसे में कुछ दिन तो स्कूल की दीवार फांदकर वे पानी लाते रहे, लेकिन जब परेशानी ज्यादा हुई, तो खुद का कुआं खोदने का ख्याल आया।अनिल और उनकी पत्नी पिछले 25 दिनों से कुआं खोदने में जुटे हैं। रोज सुबह 4 घंटे की मेहनत से आज यह कुआं 20 फीट गहरा हो चुका है।
जिला व राज्य स्तर पर दर्जनों मेडल जीत चुके अनिल लोहार ने गरीबी के बीच भी तीरंदाजी का अभ्यास नहीं छोड़ा है। पिछले साल मार्च में ओडिशा में हुई नेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता में उन्होंने इंडियन राउंड के टीम इवेंट में गोल्ड मेडल जीता था। अनिल ने बताया कि सरायकेला के रतनपुरा स्थित तीरंदाजी एकेडमी में उन्होंने शुरुआत की थी।
भरोसा था कि तीरंदाजी में उपलब्धि हासिल करने पर सरकारी नौकरी मिल जाएगी। मगर अब तक नौकरी नहीं मिली है। निजी कंपनी में रोजगार जरूर मिला, लेकिन इससे प्रैक्टिस छूट जाती थी, इसलिए प्राइवेट नौकरी छोड़ दी। अब घर का खर्चा चलाने के लिए मुर्गे की दुकान खोल ली। यहां कुछ घंटे काम कर घर चलाने लायक पैसा कमा लेते है।
अनिल की कर्मठता व बेबसी की कहानी सुन तीरंदाजी एकेडमी सरायकेला के मुख्य कोच बीएस राव ने बताया कि अनिल लोहार अच्छा तीरंदाज है. लॉकडाउन की वजह से उसके स्टाईपेंड के 75 हजार रुपए फंसे हुए हैं।लेकिन अब सरकार से यह राशि जारी करने की अनुमति मिल गई है। जल्द ही उसे राशि मुहैया कराई जाएगी।