रांचीः झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन प्रभारी मंत्री गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन आलमगीर आलम ने झारखंड भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण विधेयक 2021 सदन पटल पर रखा. आलमगीर आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिपेक्ष में इस बिल को लाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा है कि किसी भी कांड में 2 से ज्यादा लोग शामिल होंगे, वह मॉब की श्रेणी में आएंगे. झारखंड में 2014 से लेकर 2019 तक 56 लोग इससे प्रभावित हुए हैं.

विधायक अमित मंडल ने कहा कि मॉब लिंचिंग बिल सिर्फ राजनीतिक फायदा लेने के लिए लाया गया है. यह सरकार शिजोफ्रेनिया से पीड़ित है. सरकार सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रही है. इस बिल में मॉब का अर्थ बताया गया है दो या दो से अधिक व्यक्ति. आईएएस अफसरों ने सरकार को खुश करने के लिए यह परिभाषा दी है. आज कोई भी जनता सरकार के क्रियाकलाप से खुश नहीं है.

इस बिल से अभिव्यक्ति की आजादी भी प्रभावित होगी. अमित मंडल ने कहा कि इस बिल में कई गलतियां है. इसलिए इसे प्रवर समिति को भेजना चाहिए. स्पीकर ने इस सवाल पर मतदान कराया जो अस्वीकृत हो गया. अमित मंडल ने मॉब लिंचिंग में दुर्बल शब्द पर आपत्ति जताई जिसे संसदीय कार्य मंत्री ने स्वीकार करते हुए आम नागरिक शब्द जोड़ने की बात स्वीकार की.

केदार हाजरा ने राजनीतिक संवाददाता को विलोपित करने की मांग की है. मतदान के बाद यह प्रस्ताव अस्वीकृत हुआ. विधायक अमर बाउरी ने कहा कि यह बिल आदिवासी विरोधी है. झारखंड में आदिवासी समाज अपने मसले को खुद बैठकर निपटाता है. तब तो आदिवासी समाज के लोगों को भी इस बिल के दायरे में लाकर फंसाया जाएगा.

प्रदीप यादव ने कहा कि यह बिल स्वागत योग्य है, लेकिन राजस्थान की तर्ज पर इसमें प्रावधान होना चाहिए कि पीड़ित परिवार को बसाने और उनके जीवन यापन की व्यवस्था सरकार करे. प्रदीप यादव ने कहा कि भाजपा वाले इसलिए इस बिल का विरोध कर रहे हैं क्योंकि मॉब लिंचिंग की घटनाओं के पीछे इन्हीं लोगों का हाथ होता है.

सीपी सिंह का वक्तव्य

बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने कहा कि कांग्रेस विधायक दीपिका पांडे सिंह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हवाले से कहा कि 2014 से पहले लिंचिंग शब्द कोई नहीं जानता था. इसी बात को आगे बढ़ाते हुए सीपी सिंह ने पूछा कि 1984 में जो सिख विरोधी दंगा हुआ था, क्या वह मॉब लिंचिंग था या नहीं.

अनंत ओझा ने कहा कि इस बिल को जल्दबाजी में पास नहीं करना चाहिए. इसी वजह से कई संशोधन आए हैं. इस बिल को प्रवर समिति को भेजना चाहिए. मॉब लिंचिंग प्रिवेंशन बिल का विरोध करते हुए भाजपा विधायकों ने वाक आउट कर दिया.

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