रांची : झारखंड में लोकसभा का माहौल तैयार है. यहां का राजनीतिक परिदृश्य एक जटिल शतरंज की बिसात जैसा है, जहां हर चाल मायने रखती है. जो जटिल गठबंधनों, रणनीतिक पैंतरेबाज़ी और बदलती चुनावी गतिशीलता से आकार ले रहा है. ऐसे में रणनीतिक निर्णय और वोटर्स की नब्ज को जानना-समझना भी जरूरी हो जाता है. राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, ऐसी रणनीतियों की स्थिरता और झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य पर दीर्घकालिक प्रभाव के बारे में सवाल बने हुए हैं. क्या भाजपा की सामरिक चालें वांछित परिणाम देंगी, या इंडी गठबंधन राजनीति की अंतर्निहित जटिलताएं उसे बर्बाद करने वाली साबित होंगी या इंडी गठबंधन को मजबूत बनाएगा?
इंडी गठबंधन के सामने ये 3 बड़ी चुनौती
आज की अवधारणा में, तीन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों का उल्लेख किया गया है – लोहरदगा, राजमहल और कोडरमा. प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारी की घोषणा की है. लेकिन इन तीन निर्वाचन क्षेत्र में विपक्षी दलों के वोटों में विभाजन की संभावना पैदा हो सकती है.
लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र : सुखदेव भगत के वोट विभाजित होने की संभावना
लोहरदगा निर्वाचन क्षेत्र में, झारखण्ड मुक्तिमोर्चा के स्थानीय विधायक चमरा लिंडा की लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा से इंडी गठबंधन के अधिकृत उम्मीदवार सुखदेव भगत के वोट विभाजित होने की संभावना पैदा हो गई है. इंडी गठबंधन के सहयोगी झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के द्वारा अगर इस समस्या का निवारण नहीं हुआ तो बीजेपी प्रत्याशी समीर उरांव को बढ़त मिलने की उम्मीद बन सकती है. चमरा लिंडा राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी है और पिछले कुछ लोकसभा चुनाव से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. संभवत: उनके द्वारा लाए गए मत वर्तमान इंडी एलायंस के मतों को विभाजित करते रहे और जीत भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की होती रही है.
राजमहल लोकसभा क्षेत्र : लोबिन हेम्ब्रम और विजय कुमार हांसदा के बीच हो सकता वोटों का बंटवारा
इसी तरह राजमहल लोकसभा क्षेत्र में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा से बोरियो के विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है. इससे उनके और गठबंधन के उम्मीदवार विजय कुमार हांसदा के बीच वोटों का बंटवारा हो सकता है. वोटो का बंटवारा अगर होता है तो इसका फायदा फिर बीजेपी प्रत्याशी ताला मरांडी को सीधा होता नजर आएगा.
लोबिन हेम्ब्रम एक कुशल राजनेता है और अपने विधानसभा में अच्छी खासी पकड़ है. कुछ दिनों से झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी के विरुद्ध 2-4 वक्तव्य देते नजर आए थे. अगर इंडी गठबंधन को चुनाव जीतना है तो लोबीन हेंब्रम को मनाना बहुत जरूरी है क्योंकि राजमहल लोकसभा क्षेत्र में हमेशा कांटे की टक्कर होती रही है एक समय ऐसा भी आया था कि जीत और हार का अंतर मात्र 9 वोटो का था.
कोडरमा लोकसभा क्षेत्र : अन्नपूर्णा देवी को होगा फायदा
कोडरमा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में, पूर्व विधायक और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता जयप्रकाश वर्मा संभावित रूप से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ सकते हैं. इससे उनके और इंडी गठबंधन के कोडरमा लोकसभा उम्मीदवार और सीपीआई (एमएल) नेता विनोद सिंह के बीच वोट बंटने की संभावना बढ़ गई है. नतीजतन, इसका फायदा बीजेपी उम्मीदवार अन्नपूर्णा देवी को मिल सकता है.
जयप्रकाश वर्मा के मामले का विश्लेषण दूसरे नजरिये से भी करने की भी जरूरत है. अगर वह चुनाव लड़ते हैं तो इससे बीजेपी को अपने परम्परागत कोइरी समाज के वोटस का नुकसान हो सकता है. किसी अभी पार्टी का परंपरागत वोटर उसे वोट नहीं करेगा तो वह उसे पार्टी का ही नुकसान माना जाएगा. सूत्रों के मुताबिक कोइरी समुदाय, वर्तमान सांसद अन्नपूर्णा यादव से काफ़ी नाराज है, ऐसे में इंडी गठबंधन इस आस में था कि कोइरी समाज का वोट उसके प्रत्याशी सीपीआईएमएल के विनोद सिंह को मिलेगा. जयप्रकाश वर्मा के निर्दलीय चुनाव लड़ने से बीजेपी से नाराज कोइरी मतदाता जयप्रकाश वर्मा को वोट कर सकते हैं यानी नाराज कोइरी वोट इंडी गठबंधन को जाने के बजाय एक निर्दलीय प्रत्याशी को चला जाएगा इससे बीजेपी को फायदा हो सकता है और उनके उम्मीदवार जीत के करीब होगी.
विश्लेषण के कुछ दृष्टिकोण ये भी
एक नजरिया यह बताता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा अपने विधायकों या नेताओं के बीच अनुशासन कायम नहीं रख पा रही है. दूसरा परिप्रेक्ष्य कांग्रेस, झामुमो कार्यकर्ताओं और इंडी गठबंधन कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय और सद्भाव की कमी को उजागर करता है.
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी इन कमजोर सीटों के लिए पहले से ही रणनीति बना रही थी. उनके पास ऐसे पेशेवर थे जो मानते थे कि इन सीटों को सीधे जीतना मुश्किल हो सकता है लेकिन वोटों के बंटवारे से जीत हो सकती है. इस प्रकार, राजमहल में लोबिन हेम्ब्रम, लोहरदगा में चमरा लिंडा और कुछ हद तक कोडरमा में जयप्रकाश वर्मा के लिए एक अप्रत्यक्ष रणनीति तैयार की गई है, जिसको साबित करना मुश्किल है लेकिन संभावना निश्चित हो सकती है.
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