JoharLive Team
रांची । जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के लिये झारखंड विधानसभा चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकने का फैसला किया है। जदयू के उम्मीदवारों के पक्ष में बिहार सरकर के मंत्री और पार्टी के सांसद चुनाव प्रचार करेंगे।
पार्टी सूत्रों के अनुसार जदयू की राष्ट्रीय परिषद की पिछले दिनों दिल्ली में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठक में प्रदेश के नेताओं को पूरी ताकत से विधानसभा चुनाव लड़ने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि झारखंड विधानसभा का चुनाव पार्टी के लिये अहम है।
जदयू के झारखंड प्रभारी रामसेवक सिंह और प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू राज्य की सभी 81 विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा काफी पहले कर चुके हैं। राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नीतीश कुमार ने इस पर मुहर लगा दी है। उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा का चुनाव पार्टी अकेले अपने बलबूते पर लड़ेगी। जदयू झारखंड में संगठन का विस्तार कर विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना चाहता है, ताकि उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सके।
सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिये जदयू को फिलहाल किसी भी राज्य के विधानसभा चुनाव में 10 प्रतिशत वोट की जरूरत है। इसके साथ ही पार्टी को कम से कम चार सीटें जीतनी होगी। इसके लिये नीतीश कुमार को पड़ोसी राज्य झारखंड सबसे उपयुक्त लग रहा है। यही वजह है कि जदयू झारखंड में अपने पुराने राजनीतिक दुर्ग को दुरुस्त करने में जुट गया है।
नीतीश कुमार ने पहले पार्टी की प्रदेश इकाई को पुनर्गठित कर इसकी कमान पूर्व सांसद सालखन मुर्मू जैसे एक बड़े आदिवासी चेहरे को सौंपी। इसके बाद रांची में राज्यस्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन कर राज्यभर के कार्यकर्ताओं में अपने भाषण से जोश भरा। उन्होंने फिर विधानसभा चुनाव में अकेले उतरने और किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनने की रणनीति बनायी। पार्टी की विशेष नजर बिहार से सटे सीमावर्ती विधानसभा क्षेत्रों पर है। इनमें कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां से पार्टी पूर्व में जीतती भी रही है। ऐसे क्षेत्रों में भवनाथपुर, पांकी, डालटनगंज, छतरपुर, तमाड़, डुमरी, मांडू, बाघमारा और देवघर शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि बिहार से अलग होने के बाद साल 2000 में राज्य में जदयू और समता पार्टी के आठ विधायक थे। बाद में समता पार्टी का जदयू में विलय हो गया। झारखंड गठन के बाद 2005 में हुये पहले विधानसभा चुनाव में जदयू के विधायकों की संख्या घट कर पांच रह गयी। यह संख्या 2009 में दो पर सिमट गई। 2014 में हुये पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया था। इस बार चुनाव से पहले नीतीश की रैली और इसके बाद जन भावना यात्रा के जरिये पार्टी ने पूरे राज्य में अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश की है।
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