JoharLive Team
खूंटी । अक्टूबर के महीने में भले ही मौसम धीरे-धीरे सर्द हो रहा हो, पर राजनीतिक तपिश लगातार बढ़ती जा रही है। विधानसभा चुनाव की तिथि जैसे-जैसे निकट आती जा रही है, विभिन्न दलों की सक्रियता भी बढ़ती जा रही है। हर ओर सिर्फ एक ही बात की चर्चा है कि कौन-कौन हो सकते हैं चुनावी योद्धा।
पहले बात करें, खूंटी विधानसभा क्षेत्र की, जहां से वर्तमान ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा पिछले चार बार से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनको टिकट मिलना तय माना जा रहा है। जहां तक विपक्षी दलों की बात है, तो अभी तक यह तय नहीं है कि वे गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेंगे या अलग-अलग। गठबंधन होने पर किसका उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा। राजनीति के जानकार कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन का हश्र देख कर इस बात की संभावना कम ही नजर आती है कि विपक्षी दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे। जहां तक कांग्रेस की बात है, तो पिछले चार चुनावों से कांग्रेस को लगाातर हार का मुंह देखना पड़ रहा है। झामुमो अब तक एक बार भी जीत हासिल नहीं कर सकी है। झामिवो, झापा या अन्य विपक्षी दलों का जनाधार ऐसा नहीं दिखता कि उसका उम्मीदवार विधानसभा तक पहुंच सके। ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने 1999, 2004, 2009 और 2014 के विधानस्भा चुनाव में जीत हासिल की थी। उनका दावा है कि भाजपा के शासनकाल में खूंटी विधानसभा क्षेत्र का जितना विकास हुआ है, उतना 70 साल में नहीं हुआ। जनता विकास को देखते हुए उन्हें फिर एक बार अपना आषीर्वाद देगी। पार्टी के जिलाध्यक्ष काषीनाथ महतो कहते हैं कि इस बार नीलकंठ सिंह मुंडा रिकाॅर्ड मतों से जीत हासिल करेंगे।
तोरपा विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला काफी रोचक होने की संभावना है। जानकार कहते हैं कि इस बार झामुमो के लिए सीट बचा पाना काफी चुनौतीपूर्ण होगा। भाजपा में टिकट पाने को लेकर नेताओं की लाॅबिंग तेज हो गयी है। जिला परिषद अध्यक्ष जोनिका गुड़िया और आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो चुके उग्रवादी प्रकाश भुइयां के भाजपा में शामिल होने से भाजपा की स्थिति को अधिक मजबूत माना जा रहा है। पार्टी सूत्रों पर भरोस करें, तो टिकट के प्रबल दावेदारों जोनिका गुड़िया भी एक हैं। दो बार तोरपा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व विधायक कोचे मुंडा टिकट की दौड़ में सबसे आगे बताये जाते हैं। 2014 के चुनाव में कोचे मुंडा महज 43 वोटों से चुनाव हार गये थे। उनके अलावा जिला परिषद सदस्य जयमंगल गुड़िया, अजीत टोपनो और मानू मुंडा भी टिकट के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। जानकार कहते हैं कि झारखंड पार्टी के कंेद्रीय अध्यक्ष हाल ही में जेल से बाहर आये हैं। जेल से निकलते ही उन्होंने अपनी राजनीतिक अतिविधि तेज कर दी है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा की सात सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इनमें तोरपा भी शामिल है। झारखंड पार्टी के गंभीरता से चुनाव लड़ने का असर कांगे्रस और झामुमो पर भारी पड़ सकता है। इसके अलावा अखिल भारतीय झारखंड पार्टी ने भी तोरपा और खूंटी से प्रत्याषी देने की घोषण की है। कुल मिलाकर तोरपा में इस बार चुनाव काफी रोमांचक होने की संभावना है।