रांची। झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्र की खंडपीठ में बुधवार को सूचना आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित अवमानना याचिका समेत राज्य के 12 संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष एवं सदस्यों के पद रिक्त रहने को लेकर एडवोकेट एसोसिएशन की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। मामले में खंडपीठ ने विधानसभा सचिव को प्रतिवादी बनाया है। साथ ही विधानसभा सचिव को जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई तीन मई निर्धारित की है।

खंडपीठ ने विधानसभा में विपक्ष के नेता के रिक्त पद के संबंध में मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि इस पद को लेकर विधानसभा स्पीकर की ओर से डिसक्वालीफिकेशन (बाबूलाल मरांडी) के इश्यू को क्यों नहीं डिसाइड किया जा रहा है।

राजकुमार की अवमानना याचिका में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभय मिश्रा की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य सूचना आयोग में रिक्त पदों को भरने के लिए विपक्ष के नेता के पद के रिक्त रहने से कोई समस्या नहीं है। कानून में ऐसा प्रावधान है कि अगर विपक्ष के नेता नहीं है तो विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी के नेता को कमेटी में रखकर राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्त एवं अन्य पदों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जा सकती है। उनकी ओर से कोर्ट को बताया गया कि वर्ष 2020 में हाई कोर्ट ने सूचना आयुक्तों कि नियुक्ति से संबंधित एक याचिका को राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद निष्पादित कर दिया था। उस समय सरकार की ओर से कोर्ट में अंडरटेकिंग देते हुए कहा गया था कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति जल्द कर ली जाएगी। सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं होने पर वर्ष 2021 में प्रार्थी राजकुमार ने अवमानना याचिका दाखिल की है।

राजकुमार की ओर से कहा गया है कि राज्य सरकार ने वर्ष 2020 में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति कर लेने का अंडरटेकिंग दिया था लेकिन अब तक सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी है।

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