रांची: हजारीबाग के बड़कागांव में एनटीपीसी जमीन अधिग्रहण के विरोध मामले में आरोपी पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की जमानत याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से अपनी दलील पेश की गई. दोनों पक्षों की दलील को सुनने बाद अदालत ने फैसला सुनाते हुए बेल देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने योगेंद्र साव की जमानत याचिका खारिज कर दी है.
अदालत ने यह माना कि इस मामले में जमानत नहीं दी जा सकती है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि पूर्व मंत्री जमानत के लिए अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे. झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय की अदालत में पूर्व मंत्री की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत से जमानत की गुहार लगाई. उन्होंने अदालत को हिरासत की अवधि के आधार पर जमानत की मांग की. उन्होंने अदालत को बताया कि राजनीतिक विद्वेष के कारण उन्हें गलत ढंग से फंसाया गया है. अपने ऊपर लगाए गए आरोप को उन्होंने गलत बताया है.
उन्होंने अदालत से गुहार लगाई है कि उन्हें जमानत दे दी जाए. अदालत के द्वारा जो शर्त दिए जाएंगे उन शर्तों का पालन करेंगे. वहीं सरकार के अधिवक्ता ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि उन पर गंभीर आरोप लगा है. पुलिस के साथ झड़प और उन पर जानलेवा हमले का आरोप है. ऐसे गंभीर मामले में जमानत नहीं दी जाय. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत बेल देने से इनकार कर दिया है.
बता दें कि बरका गांव में एनटीपीसी की जमीन अधिग्रहण का विरोध ग्रामीणों के द्वारा किया जा रहा था. जिसमें पूर्व मंत्री योगेंद्र साव भी शामिल थे. उस विरोध और धरना प्रदर्शन के दौरान पुलिस और समर्थकों के बीच झड़प हुई थी. उसी मामले में पूर्व मंत्री को आरोपी बनाया गया है. वर्तमान में पूर्व मंत्री जेल में हैं. निचली अदालत से उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. उसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी. उसी याचिका पर सुनवाई हुई.