रांची। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शनिवार को डबलिन यूनिवर्सिटी मिशन प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन कमेटी के सचिव राजेश ए नंदी की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई की। खंडपीठ ने तथ्य छिपाकर जनहित याचिका दाखिल करने पर याचिकाकर्ता राजेश ए नंदी पर लगाए गए एक लाख रुपये की जुर्माना राशि में से 50 हजार रुपये माफ कर दिया है।
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट से आग्रह किया गया था कि वह सेवानिवृत्त शिक्षक है। इसलिए जुर्माना की राशि घटाई जाए। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस केस से हटा दिया था। साथ ही उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। जुर्माने की राशि याचिकाकर्ता को एडवोकेट एसोसिएशन, झारखंड हाई कोर्ट में जमा करनी थी।
याचिकाकर्ता की ओर से याचिका दाखिल कर कहा गया था कि डबलिन यूनिवर्सिटी मिशन ट्रस्ट की प्रॉपर्टी चैरिटेबल कार्यों हॉस्पिटल स्कूल के लिए यूज हो सकती है लेकिन छोटानागपुर डायोसी ट्रस्ट एसोसिएशन के द्वारा इसकी संपत्ति को हजारीबाग में अवैध रूप से बेचा जा रहा है, इसकी जांच कराई जाए।
सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि वर्ष 1930 में डबलिन यूनिवर्सिटी मिशन एक कंपनी बन गई थी जिसका नाम डबलिन यूनिवर्सिटी मिशन ट्रस्ट एसोसिएशन था। वर्ष 1960 में इसकी ऐसेट एंड लायबिलिट छोटेनागपुर डायोसी ट्रस्ट एसोसिएशन मर्ज कर गया था। याचिकाकर्ता की ओर से एक सिविल सूट भी हजारीबाग सिविल कोर्ट में डाला गया था लेकिन इसकी जानकारी जनहित याचिका में याचिकाकर्ता की ओर से नहीं दी गई थी। इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर नाराजगी जताते हुए उस पर एक लाख रुपये जुर्माना लगाया था।