रांची: बाबूलाल मरांडी के सलाहकार सुनील तिवारी पर लगे योण शौषण के मामले में सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर बृहस्पतिवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद मुख्य सचिव, डीजीपी, रांची एसएसपी, रांची अरगोरा थाना के थाना प्रभारी को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा है.
झारखंड हाई कर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रार्थी के अधिवक्ता से पूछा है कि मामले की जांच क्यों सीबीआई को दी जाए. जिस पर पूर्व महाधिवक्ता आरएस मजूमदार ने याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि यह मामला हाई प्रोफाइल है. इस मामले की जांच झारखंड पुलिस के द्वारा निष्पक्ष नहीं की जा सकती है. राजनीतिक विद्वेष के कारण पुलिस का गलत उपयोग कर सुनील तिवारी को फंसाया गया है. इसलिए इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई को दिया जाना चाहिए.
उन्होंने अदालत को जानकारी देते हुए कहा कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के खिलाफ एक लड़की ने दुष्कर्म का केस किया. उस मामले में सुनील तिवारी ने हस्तक्षेप याचिका मुंबई हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दायर की. उस राजनीतिक विद्वेष के कारण मुख्यमंत्री ने सुनील तिवारी को जानबूझकर फसाया है. इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई को दिया जाना चाहिए. सुनील तिवारी ने पूर्व में ही मुख्य सचिव और डीजीपी को पत्र लिखकर जानमल की क्षति और उन्हें अपराधिक मामले में फंसाने की आशंका को लेकर पत्र लिखा था. जिस पर अधिकारी ने कोई संज्ञान नहीं लिया. अदालत ने याचिकाकर्ता की दलील पर अपनी संतुष्टि जताते हुए. मामले में बनाए गए प्रतिवादी राज्य सरकार के मुख्य सचिव, डीजीपी, रांची एसएसपी, थाना प्रभारी को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा है.
सुनील तिवारी की पत्नी लालिमा तिवारी ने अपने पति के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सीबीआई से जांच कराने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. उसी याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिका के माध्यम से उन्होंने अदालत को बताया है कि सरकार के आला अधिकारी ने फर्जी तरीके से उनके पति को फसाया है. इसलिए इस मामले की सीबीआई जांच कराने की अदालत से गुहार लगाई है.