रांची। झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शुक्रवार को फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री (एफएसएल) में चतुर्थ वर्गीय पदों पर नियुक्ति मामले में राज्य सरकार द्वारा गलत जानकारी दिए जाने पर राज्य सरकार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। खंडपीठ ने मौखिक कहा कि सरकार के द्वारा इस मामले में समय बर्बाद किया गया है। इसलिए जुर्माना लगाया जाता है।
पिछली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि एफएसएल में चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति के लिए जेएसएससी को अधियाचना भेजी गई है लेकिन आज सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया की एफएसएल में चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति जेएसएससी के माध्यम से नहीं होती है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में सुनवाई के दौरान जेएसएससी की ओर से अदालत को बताया गया था कि इन पदों पर नियुक्ति के लिए राज्य सरकार ने अधियाचना भेजी थी। जेएसएससी ने इसमें कुछ क्वेरी करते हुए अधियाचना सरकार को भेजी है। इसके बाद अब अधियाचना वापस जेएसएससी को नहीं मिली है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार को जेएसएससी के क्वेरी का जवाब देते हुए एक सप्ताह में भेजने का निर्देश दिया था। जेएसएससी को अधियाचना मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू करने को कहा था। पूर्व में सरकार की ओर से कहा गया था कि एफएसएल में कार्यरत संविदा कर्मियों की सेवा नियमित कर रिक्त पदों को भरा जाएगा। इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई थी और कहा था कि राज्य सरकार चतुर्थ वर्ग के पद पर आउटसोर्स कर्मियों को कैसे नियमित कर सकती है।