Joharlive Team
रांची । झारखंड हाईकोर्ट ने छठी झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी) की संशोधित परीक्षाफल को निरस्त कर दिया है। कार्यवाहक चीफ जस्टिस एचसी मिश्रा और जस्टिस दीपक रौशन की अदालत ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। अदालत ने अपने फैसले में सरकार को विज्ञापन की शर्तों के अनुसार रिजल्ट जारी करने का निर्देश दिया है।
उल्लेखनीय है कि सरकार के आदेश पर संशोधित परीक्षाफल जारी किया गया था। प्रारंभिक परीक्षा में तीन बार संशोधनों के बाद लगभग 34 हजार 634 अभ्यर्थी सफल घोषित किये गये थे।
कोर्ट ने रखा था फैसला सुरक्षित
हाईकोर्ट ने 17 सितम्बर को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला को सुरक्षित रख लिया था। इस संबंध में पंकज कुमार पांडेय ने अपील याचिका दायर कर कहा था कि जेपीएससी ने परीक्षा प्रकिया शुरु होने के बाद नियमों में बदलाव किये है। सरकार के आदेश और नियम का हवाला देते हुए न्यूनतम अंक की अर्हता में बदलाव किया गया। अंक बदलने की वजह से परीक्षा के परिणाम भी बदला और संशोधित परीक्षा फल जारी किया गया। पहली बार 2017 में छठी जेपीएससी का परिणाम घोषित किया गया था। उस वक्त लगभग पांच हजार अभ्यर्थी पीटी परीक्षा में सफल घोषित किये गये थे। जिसे बाद में हाईकोर्ट के आदेश के बाद संशोधित किया गया था। मामले में जेपीएससी का कहना है कि शर्त में बदलाव करना सरकार के अधिकार में है। पूर्व में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस परीक्षा में शामिल सभी उम्मीदवारों को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया था। सभी के प्रतिवादी बनने के बाद मामले में सुनवाई हुई।
क्या है पूरा मामला
जेपीएससी छठी परीक्षा फल इसी साल फरवरी में जारी किया गया था। परीक्षा फल जारी के बाद ही मामले में विवाद शुरु हो गया था। कुल 4823 उम्मीदवारों को उत्तीर्ण किया गया था। जेपीएससी की ओर से नियम के मुताबिक आरक्षित सीटों के 15 गुणा संख्या के हिसाब से रिजल्ट जारी किया गया था। रिजल्ट जारी करने के बाद आरक्षण की क्षेणी में आने वाले अभ्यिर्थियों को ज्यादा अंक लाने के बाद भी उन्हें अनारक्षित क्षेणी में शामिल किया गया। इस वजह से आरक्षित छात्र ज्यादा अंक लाकर भी फेल और अनारक्षित क्षेणी के छात्र कम अंक लाकर भी पास हो गये थे।