Joharlive Team
रांची। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि कोल ब्लॉक नीलामी को लेकर राज्य सरकार ने माननीय उच्चतम न्यायालय में अर्जी दाखिल किया है। कोल ब्लॉक नीलामी में केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को विश्वास में लेने की जरूरत थी। क्योंकि झारखण्ड में खनन का विषय हमेशा से ज्वलंत रहा है। इतने वर्ष बाद नई प्रक्रिया अपनाई गई है और इस प्रक्रिया से प्रतीत होता है कि फिर पुरानी व्यवस्था में हम जाएंगे, जिससे हम बाहर आए थे। मौजूदा व्यवस्था से यहां रह रहे लोगों को खनन कार्य में अभी भी अधिकार प्राप्त नहीं हुआ है। विस्थापन की समस्या उलझी हुई है। केंद्र सरकार को मामले में जल्दीबाजी नहीं करने का आग्रह राज्य सरकार पूर्व में कर चुकी थी। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कोई आश्वासन प्राप्त नहीं हुआ, जिससे लगे कि पारदर्शिता बरती जा रही है।
- सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण होना चाहिए था
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोल ब्लॉक नीलामी से पूर्व राज्यव्यापी सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण होना चाहिए था, जिससे पता चल सके की कोयला खनन से यहां के लोग लाभान्वित हुए या नहीं। नहीं हुए तो क्यों नहीं हुए। यह बड़ा विषय था। लेकिन केंद्र सरकार ने जल्दीबाजी दिखाई है। आज पूरी दुनिया लॉकडाउन से प्रभावित है। भारत सरकार कोल ब्लॉक नीलामी में विदेशी निवेश की भी बात कर रही है, जबकि विदेशों से आवागमन पूरी तरह बंद है। झारखण्ड की अपनी स्थानीय समस्याएं हैं। आज यहां के उद्योग धंधे बंद पड़े हैं। ऐसे में कोल ब्लॉक नीलामी की प्रक्रिया राज्य को लाभ देने वाली प्रतीत नहीं होती है।