Joharlive Team
देवघर। कोरोना संक्रमण को लेकर जारी प्रतिबंधों के कारण न जाने कितने परिवार ऐसे हैं जो अर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे हैं और उनके खाने-पीने की दिक्कतें कुछ ऐसे हो चले हैं कि घर के छोटे बच्चे ने अपनी पढ़ाई छोड़कर राशन जुटाने की जिम्मेवारी सम्हाल ली है।
ऐसा ही एक मामला आज सुबह देखने को आया जब शहरी सीमा से सटे मोहनपुर प्रखण्ड के ग्राम बलसारा का एक 13 बर्षीय बालक सूरज कुमार केसरी पिता किशन प्रसाद केसरी साइकिल पर थोड़े से भुट्टे लेकर घर-घर जाकर भुट्टे खरीदने का आग्रह कर रहा था। किंतु लगभग खराब हो चुके भुट्टे को कोई खरीदार न मिला तो उसका चेहरा रुआँसा हो गया। बच्चे का चेहरा यूँ उदास देखकर प्रोफेसर कालोनी के अमित सोनी ने जानकारी ली तो उक्त बालक ने भुट्टे लेने का आग्रह करता हुआ बोला अंकल भुट्टे खरीद लीजिए ना। क्योंकि भुट्टा बिकेगा तभी वह घर के राशन लेकर घर जा पाएगा।
अमित सोनी ने उसके सहायतार्थ भुट्टे तो खरीदे ही साथ ही नक़द रुपये की आर्थिक सहयोग भी दिया तो बच्चे की आँखों में खुशी की झलक दिख साफ-साफ दिखने लगा। बालक सूरज केसरी से पूछताछ पर उसने बताया कि उसके पिता जो गोड्डा में ईंट मंज़दूर का काम करते हैं । उनका भी काम छूट चुका है तथा बसों के न चलने के कारण इस समय गोड्डा में ही फँसे हुए हैं।
जबकि उसका एक बड़ा भाई जो सब्जी मंडी में कुली का काम कर रहा है। उसे भी कम ही काम मिलता है जिस कारण चार लोगों के परिवार को भोजन के लिए दिक्कतें उठानी पड़ रही है। जिस कारण वह गाँव से गुजरने वाले किसान से भुट्टे खरीद कर उसे गली-गली बेचकर किसी तरह जीवन यापन की कोशिश कर रहा है।
सूरज ने बताया कि वह बलसारा के ही मोर्डन मॉन्टेसरी एकेडमी का कक्षा 8 का छात्र है किंतु स्कूल फीस के तकरीबन 9 हजार से ज्यादा का बकाया हो जाने के कारण स्कूल द्वारा बार-बार माँगे जाने के पर उसकी माँ ने अभी पढ़ाई से अलग कर दिया है । इतना ही नहीं, बालक सूरज ने सहानभूति पाते ही बिल्कुल सरल लहज़े से यह भी बताया कि उसका मूल घर जिले के सारवाँ प्रखण्ड में है किंतु फुआ की शादी के कारण वह घर भी बिक गया जिस कारण वह सपरिवार बलसारा में ही रह रहा है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना संकट काल में जब शहर के धनकुबेरों, समाजसेवियों द्वारा राशन सामग्रियाँ उपलब्ध कराए जाने सम्बन्धी खबरें लगातार सुर्खियों में रहता आया वैसे में सूरज जैसे न जाने कितने मासूम जीवन की जंग लड़ रहा है, मासूम कंधों पर भोजन जुटाने की जिम्मेवारी और शिक्षा से महरूम किये गए ऐसे परिवार की सुधि कौन लेगा। यह स्प्ष्ट नहीं है ऐसे में सवाल यह उठता है कि अभी हाल में देवघर के विलियम्स टाउन में मौत की घटना के बाद फ़ोटो खिंचवाने का जो दौर चल रहा है ठीक ऐसे ही सूरज जैसे बच्चों के अनगिनत मामलों में उक्त घटनाओं की पुनरावृत्ति की प्रतीक्षा में हैं। ताकि फ़ोटो सेशन कर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करा सके।