Jharkhand Election Result 2024 : झारखंड विधानसभा चुनाव परिणामों को देखें तो जनता का हेमंत सोरेन पर भरोसा नजर आता है. लेकिन, आश्चर्य की बात यह है कि जनता ने हेमंत सोरेन के नेतृव वाले गठबंधन को स्पष्ट बहुमत तो दिया है पर हेमंत की सरकार में ही मंत्री रहे 5 प्रत्याशी अपनी विधायकी नहीं बचा पाए हैं. वहीं, एक ने खुद चुनाव नहीं लड़ा, बल्कि बहु को चुनाव लड़वाया. वह भी अपनी साख का असर बहु को चुनाव जीतवाने में नहीं दिखा सके. इस तरह विधानसभा चुनाव हारने वाले पूर्व मंत्रियों में 3 झामुमो तो दो कांग्रेस और एक राजद उम्मीदवार शामिल हैं. हालांकि, बताया जा रहा है कि इन मंत्रियों की हार में एंटी इनकम्बेसी का असर रहा है.
1. मिथिलेश ठाकुर
हेमंत और चंपई सोरेन सरकार में पूरे 5 साल मंत्री रहे मिथिलेश ठाकुर गढ़वा सीट से चुनाव हार गए हैं. मिथिलेश यहां त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गए. गढ़वा सीट पर बीजेपी के सत्येंद्र नाथ तिवारी 16 हजार 753 वोट से जीत गए हैं. बता दें कि मिथिलेश ठाकुर 2019 में पहली बार यहां से विधायक चुने गए थे, जिसके बाद उन्हें हेमंत ने अपने कैबिनेट में ले लिया था. श्री ठाकुर को हेमंत सोरेन का करीबी माना जाता है. गढ़वा में हेमंत और कल्पना ने डैमेज कंट्रोल के लिए करीब 4 रैलियां भी की थीं. इसके बावजूद मिथिलेश चुनाव नहीं जीत पाए
2. बन्ना गुप्ता
जमशेदपुर पश्चिम सीट से कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे निवर्तमान मंत्री बन्ना गुप्ता भी चुनाव हार गए हैं. उन्हें जनता दल यूनाइटेड के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे सरयू राय ने 7,863 वोट से हरा दिया है. बता दें कि बन्ना गुप्ता हेमंत सोरेन की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे. उनके खिलाफ पार्टी के विधायकों ने भी मोर्चा खोल रखा था. हालांकि, हाईकमान के आशीर्वाद की वजह से वे पद पर बने रहे.
3. बेबी देवी
हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री रहीं बेबी देवी भी चुनाव हार गई हैं. उन्हें जयराम महतो ने 10 हजार 945 वोट से हराया है. बता दें कि बेबी देवी दिवंगत जगरनाथ महतो की पत्नी हैं. जगरनाथ महतो झारखंड आंदोलन के नेता रहे हैं. बेबी देवी की हार की बड़ी वजह कुड़मी वोटों का जेएमएम से किनारा करना माना जा रहा है. डुमरी में बेबी की जीत के लिए 2 रैली कल्पना और 2 रैली हेमंत सोरेन ने भी की थी.
4. बैद्यनाथ राम
लातेहर से चुनावी मैदान में उतरे झामुमो प्रत्याशी बैद्यनाथ राम भी चुनाव हार गए हैं. उन्हें भाजपा के प्रकाश राम ने मात्र 434 वोट से शिकस्त दे दी है. बता दें कि बैद्यनाथ राम भी हेमंत सरकार में मंत्री रहे थे.
5. बादल पत्रलेख
आखिरी वक्त में मंत्री पद से हटाए गए बादल पत्रलेख भी जरमुंडी में चुनाव हार गए हैं. कांग्रेस के सिंबल पर मैदान में उतरे बादल बुरी तरह चुनाव हार गए हैं. उन्हें जरमुंडी सीट पर बीजेपी के देवेंद्र कुंवर ने 17 हजार 546 वोट से हरा दिया है. बता दें कि बादल पत्रलेख हेमंत सोरेन सरकार में कृषि मंत्री थे.
6. सत्यानंद भोक्ता
आरजेडी कोटे से हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री रहे सत्यानंद भोक्ता इस बार खुद तो चुनाव नहीं लड़े, लेकिन अपनी जगह बहू रश्मि प्रकाश को मैदान में उतार रखा था. रश्मि महागठबंधन की तरफ से चतरा सीट से चुनाव हार गई हैं. उन्हें लोजपा(राम विलास) के जनार्दन पासवान ने 18,401 वोट से हरा दिया है. बता दें कि चतरा सीट यादव बहुल है लेकिन यहां दलित मतदाता ही जीत और हार तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं. मंत्री रहते भोक्ता के खिलाफ क्षेत्र में भारी नाराजगी भी थी. हालांकि, समीकरण को देखते हुए आरजेडी ने उनकी बहु को फिर से टिकट दिया था.
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