रांची: परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय जादूगोड़ा के पूर्व विद्यार्थी और टीएमएच अस्पताल नोवामुंडी में ऑप्टोमेट्रिस्ट के रूप में कार्यरत डॉ. अतानु मजूमदार ने एक अविष्कार किया है, जिससे काला मोतिया (ग्लूकोमा) जैसी गंभीर आंखों की बीमारी से पीड़ित लोगों को राहत मिल सकती है. उनका यह अविष्कार भारत सरकार द्वारा 10 अक्टूबर 2024 को पंजीकृत किया गया है और इसके प्रमाण पत्र को हाल ही में प्राप्त किया गया है. डॉ. अतानु मजूमदार ने बताया कि काला मोतिया, जिसे ग्लूकोमा भी कहा जाता है, एक ऐसी बीमारी है, जिससे आंखों की नसे सूख जाती हैं और इससे आंखों की रोशनी भी जा सकती है. हालांकि, यह बीमारी खतरनाक नहीं है, यदि समय पर इसका इलाज किया जाए तो मरीज अपनी आंखों की रोशनी बचा सकते हैं.
डॉ. अतानु ने एक ऐसी मशीन विकसित की है, जो काला मोतिया से ग्रस्त मरीजों का इलाज करती है. यह मशीन पूरी तरह से स्वचालित है और मरीज का इलाज करने के बाद, मरीज का डाटा मशीन में लोड हो जाता है. यदि वह मरीज फिर से इलाज के लिए आता है, तो यह मशीन ऑटोमेटिकली बताएगी कि पहले से मरीज की आंखों में कितना सुधार हुआ है. इस मशीन से इलाज करवाने के बाद मरीज की आंखों की रोशनी 15-20 वर्षों तक प्रभावित नहीं होगी.
आने वाले समय में उपलब्ध होगी मशीन
हालांकि, इस मशीन की कीमत का अभी तक कोई आकलन नहीं किया गया है, लेकिन डॉ. अतानु ने बताया कि जल्द ही यह मशीन बाजार में उपलब्ध हो जाएगी, जिससे काला मोतिया से पीड़ित लोगों को राहत मिलेगी और उनकी आंखों की रोशनी बचाई जा सकेगी.