Joharlive Team
रांची। झारखंड के सिंहभूम जिले के रायपहाड़ी गांव में मनरेगा के तहत 198 रुपये रोजाना कमाने वाले दिहाड़ी मजदूर लादुन मुर्मू के होश उस वक्त उड़ गए, जब उन्हें साढ़े तीन करोड़ रुपये का जीएसटी नोटिस मिला। दरअसल, पुलिस की एक टीम लादुन के घर पहुंची, जो उन्हें जीएसटी चोरी के आरोप में गिरफ्तार करने आई थी। लादुन की हालत देखने के बाद जांच शुरू की गई तो एक बड़ी हेराफेरी सामने आ गई।
पुलिस टीम यह देखकर चौंक गई कि जिस शख्स को वह करोड़ों की टैक्स चोरी के आरोप में गिरफ्तार करने आई है, वह खुद बेहद सामान्य जिंदगी ही जी पा रहा है। दरअसल, आधिकारिक रिकॉर्ड में 48 साल के लादुन मुर्मू का नाम एमएस स्टील के डायरेक्टर के रूप में दर्ज था और उस पर 5.58 करोड़ के लेन-देन में 3.5 करोड़ की जीएसटी चोरी का आरोप था। इसी मामले में झारखंड राज्य के जीएसटी विभाग ने एफआईआर दर्ज कराई थी।
जमशेदपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. एम. तमिल वनन ने बताया कि पुलिस टीम फर्जी कंपनी एमएस स्टील के एमडी लादुन मुर्मू को गिरफ्तार करने गई थी। टीम को पता चला कि लादुन गरीब दिहाड़ी मजदूर है, जो मनरेगा के तहत काम करता है। जांच में सामने आया कि किसी ने उसके पैन कार्ड और आधार कार्ड का इस्तेमाल करके फर्जी कंपनी बना ली। इसके बाद स्पेशल टीम को मामले की जांच सौंप दी गई।
बता दें कि ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस ने लादुन को रिहा कर दिया। लादुन ने पूछताछ के दौरान बताया कि वह मनरेगा के तहत रोजाना 198 रुपये कमाता है। इससे वह दो वक्त का खाना भी नहीं जुटा पाता है। ऐसे में वह किसी कंपनी का एमडी कैसे हो सकता है?
जानकारी के मुताबिक, राज्य कर अधिकारी संतोष कुमार ने जीएसटी भुगतान के नोटिस की तारीख गुजरने के बाद इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें बताया गया था कि एमएस स्टील ने 5.58 करोड़ का स्टील त्रिनेत्र ट्रेडर्स, ओंकार ट्रेडर्स, त्रिनाथ एंटरप्राइजेज, आलम मेटल स्टोर, सिधुजा स्टील और सौभद्रा को ई-वे बिल 87ई के तहत वित्तीय वर्ष 2018-19 में नवंबर-दिसंबर के दौरान भेजा गया था।