रांची। लोकसभा चुनाव में झारखंड कांग्रेस 2019 संसदीय चुनाव के मुकाबले दो सीटें ज्यादा लड़ना चाहती है। मिली जानकारी के अनुसार, पार्टी ने 9-4-1 के फार्मूले पर 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल, 9 सीटें कांग्रेस अपने पास रखना चाहती है, जबकि 4 सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा और मात्र एक सीट राजद को देने के पक्ष में है। हालांकि, झामुमो या राजद से कांग्रेस की अभी सीट शेयरिंग पर बात नहीं हुई है, लेकिन पार्टी के सीनियर नेताओं ने महागठबंधन की बैठक में यह संकेत दे दिया है।
बता दें कि, कांग्रेस की पसंद की सीटों में हजारीबाग, पश्चिम सिंहभूम, चतरा, गोड्डा, धनबाद, रांची, खूंटी, लोहरदगा और कोडरमा हैं। वहीं अभी मात्र पश्चिम सिंहभूम ही एकमात्र ऐसी संसदीय सीट है, जिस पर कांग्रेस का कब्जा है। यहां गीता कोड़ा ने पिछले चुनाव में बीजेपी के लक्ष्मण गिलुवा को शिकस्त दी थी। 2019 लोकसभा चुनाव की बात करें तो महागठबंधन में कांग्रेस, जेएमएम, जेवीएम और राजद थे। इसमें जेएमएम ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से राजमहल सीट पर उसकी जीत हुई थी।
वहीं पार्टी प्रमुख शिबू सोरेन खुद दुमका से चुनाव हार गए थे। इसके साथ ही जेवीएम व राजद प्रत्याशी भी दोनों चुनाव हार गए थे। वहीं यूपीए गठबंधन में अगर इस बार वाम दलों की इंट्री हुई, तो तस्वीर बदल सकती है, क्योंकि भाकपा के राष्ट्रीय महासचिव डी. राजा ने हजारीबाग से चुनाव लड़ने की इच्छा जता दी है. दरअसल, 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सात सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। गठबंधन में कांग्रेस को कुल नौ सीटें मिली थीं, जिनमें से उसने अपने हिस्से की दो सीटें कोडरमा और गोड्डा जेवीएम को दी थी।
बता दें कि, तत्कालीन जेवीएम प्रमुख बाबूलाल मरांडी कोडरमा से और प्रदीप यादव ने गोड्डा से चुनाव लड़ा था, पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस इस बार इन दोनों सीटों को अपने पास रखना चाहती है। जबकि, 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 13 सीटों पर चुनाव लड़ कर 11 सीटें जीती थीं। वहीं उसकी सहयोगी आजसू पार्टी ने गिरिडीह सीट पर चुनाव लड़ा था और उस पर जीत हासिल की थी। महागठबंधन में कांग्रेस ने सात सीटों पर, जेएमएम ने चार सीटों पर, जेवीएम ने दो और आरजेडी ने एक सीट पर चुनाव लड़ा था।
वहीं सीटों के बंटवारे को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि, 23 जून को पटना में बैठक है. इसके बाद झारखंड में सीट शेयरिंग पर निर्णय होगा. वैसे हम पिछली बार से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं. राजेश ने दावा किया कि, झारखंड में कांग्रेस पहले से काफी मजबूत हुई है। प्रदेश कमेटी और जिला कमेटी के बाद अधिकतर मंडलों में कार्यसमितियां बन चुकी हैं। प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय ने स्वयं तीन-तीन बार सभी जिलों का दौरा किया है।