रांची : लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों की घोषणा के साथ झारखंड में भाजपा के अंदर शुरू हुआ कलह पांचवें चरण का चुनाव बीतने के बाद भी जारी है. अब पार्टी का अंतर्कलह पूरी तरह खुलकर सामने आ गया है. जिस तरह से हजारीबाग के पूर्व सांसद जयंत सिन्हा, धनबाद विधायक राज सिन्हा और धनबाद के पांच मंडलों के अध्यक्ष को प्रदेश नेतृत्व की ओर से शो-कॉज किया गया है. उससे यह साफ है कि पार्टी के अंदरखाने सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. इन दोनों जगहों पर भाजपा को भीतरघात के नुकसान का डर है. इससे पहले चतरा, पलामू, दुमका, गिरिडीह, जमशेदपुर और सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में भी टिकट बंटवारे के बाद भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का असंतोष सामने आ चुका है. ऐसे में भाजपा के ही कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े करने लगे हैं.
कड़ाई कम हुई तो नेताओं की शुरू हो गई मनमानी
कई सालों बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब भाजपा के अंदरूनी कलह खुलकर सामने आया है. इससे पहले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और लक्ष्मण गिलुआ के कार्यकाल में पार्टी के अंदर असंतोष और कलह तो होते थे, लेकिन वह कभी खुलकर सामने नहीं आये. दीपक प्रकाश के कार्यकाल में तो प्रदेश भाजपा के अंदर इतनी कड़ाई थी कि प्रवक्ता और पार्टी पदाधिकारी भी ऑफिशियल बयान प्रदेश नेतृत्व से पूछकर देते थे, लेकिन बाबूलाल मरांडी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद कड़ाई कम हुई और फिर नेताओं की मनमानी शुरू हो गई.
2 महीने में चरम पर पहुंच गई गुटबाजी
पिछले 2 महीने के अंदर झारखंड भाजपा में गुटबाजी चरम पर पहुंच चुकी है. संगठन पर नेताओं के साथ भेदभाव करने के आरोप भी लग रहे हैं. बहरागोड़ा के पूर्व विधायक और भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाडंगी ने इसकी पुष्टि की है. 2 दिन पहले कुणाल षाडंगी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को भेजे पत्र में उन्होंने साफ कहा है कि संगठन में उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है. पूर्वी सिंहभूम जिले में आयोजित हो रहे कार्यक्रमों में भी उनकी अनदेखी की जा रही है.
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