रांची: राज्य सरकार ने राज्यपाल द्वारा वापस किये गये तीन विधेयकों को झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पांचवें और आखरी दिन शुक्रवार को सदन से मंजूरी दे दी. सदन में चर्चा के बाद झारखंड वित्त विधेयक 2022, झारखंड कराधान अधिनियमों की बकाया राशि का समाधान विधेयक 2022 और झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2022 ध्वनिमत से पारित हुआ.
बिनोद सिंह और लंबोदर महतो ने प्रवर समिति में भेजने का आग्रह किया
माले विधायक बिनोद सिंह और आजसू विधायक लंबोदर महतो ने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का आग्रह किया. बिनोद सिंह ने कहा कि सदस्यों को विधेयक की कॉपी एक दिन पहले सदस्यों को दी है, जबकि इस विधेयक में 64 बिंदु हैं. उन्होंने कहा कि नियमावली में इस बात का जिक्र है कि सदस्यों को विधेयक की कॉपी सात दिन पहले मिले. ऐसे में बिना अध्ययन किये फिर यह विधेयक पारित हो जायेगा.
लंबोदर महतो के सवाल पर मंत्री आलमगीर आलम ने दिया जवाब
विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि यह गंभीर विषय है कि आखिर क्यों राज्यपाल ने विधेयक को वापस किया है. जवाब में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि राज्यपाल की तरफ से हिंदी और अंग्रेजी शब्द में कुछ गड़बड़ी पर आपत्ति की गयी थी. उन्होंने कहा कि इस विधेयक की आवश्यकता है. इसमें कई प्रस्ताव लाये गए हैं, जिसमें मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में जमीन विक्रय शुल्क को चार प्रतिशत से बढ़ा कर छह प्रतिशत किया गया है. इससे सरकार को प्रतिवर्ष 200 करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा.
विपक्ष के विधायकों ने कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक में त्रुटियां बतायी
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी है. इससे पहले कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक में कई तरह की त्रुटियों का हवाला देते हुए विधायक मनीष जयसवाल, नवीन जायसवाल, बिनोद सिंह सहित अन्य ने प्रवर समिति में भेजने का आग्रह किया. विधायक बिनोद सिंह ने कहा कि वर्ष 2017 में जो बिल भारत सरकार ने लाया था, इसी के प्रावधान को वर्तमान सरकार लागू कर रही है, जबकि उस समय इस सरकार ने भारत सरकार के बिल का विरोध किया था.
मंत्री पत्रलेख ने कहा- झारखंड में 28 बाजार समितियां, सभी का हाल सबको पता
जवाब में प्रभारी मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य में बाजार समिति किस हाल में है यह सभी को पता है. झारखंड में 28 बाजार समितियां हैं. सभी का हाल सबको पता है. उन्होंने कहा कि जबतक कोई भी संस्थान रेवेन्यू जेनरेट नहीं करता है, तबतक वह नहीं टिक सकता है. भारत सरकार से लगातार चिट्ठी आ रही है, केन्द्रांश की कटौती की धमकी आ रही है. एक देश एक बाजार को हर हाल में लागू करने की बात कही जा रही है. उन्होंने कहा कि बाजार समितियों में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है. अधिकारियों के भरोसे बाजार समिति को नहीं छोड़ रहे हैं बल्कि जनप्रतिनिधियों को भी जोड़ा जा रहा है.