JoharLive Team
जामताड़ा । कभी लाल झंडे लंबदार पार्टी का जादू नाला में चलता था। अब हरा झंडा और भगवा झंडा ने अपनी पैठ बढ़ाई है। इसे लेकर अलग राज्य निर्माण के बाद 2005 विधानसभा चुनाव में झामुमो के रवींद्रनाथ महतो ने तत्कालीन विधायक विशेश्वर खां को चुनावी मैदान में पटकनी दी। वहीं 2009 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सत्यानन्द झा बाटुल ने झामुमो के तत्कालीन विधायक रवीद्ननाथ महतो को विधानसभा चुनाव में मात दिया। बाद में 2014 के विधानसभा चुनाव में रवींद्रनाथ महतो ने लगभग 56,877 मत लाकर अपने निकटतम प्रतिद्धंदी तत्कालीन कृषि मंत्री सत्यानन्द झा बाटुल को आठ हजार से भी ज्यादा मतों से पराजित किया। हालांकि झामुमो के रवीद्रनाथ महतो संयुक्त बिहार के समय भाकपा के तत्कालीन विधायक विशेश्वर खां से महज ढाई हजार मतों के अंतर से हारने के बाद नाला विधानसभा सीट में अपनी जीत दर्ज कराने को लेकर भाजपा और झामुमो आमने-सामने है। वहीं लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा के प्रत्याशी सुनील सोरेन ने सर्वाधिक बढ़त इसी विधानसभा क्षेत्र से लिया था। वैसे लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव अलग ढंग से होता है। विगत 2014 के विधानसभा चुनाव में भाकपा के कन्हाईमाल पहाड़िया ने 23 हजार एवं झाविमो के तत्कालीन उम्मीद्वार माधव चन्द्र महतो 17 हजार से अधिक मत लाकर अच्छा प्रदर्शन करते हुए पुनः ताल ठोंकने के मूड में हैं। वैसे भाकपा से कन्हाईमाल पहाड़िया अब तक के घाषित उम्मीदवार हैं। वहीं माधवचन्द्र महतो झाविमो से अलग होकर भाजपा में शामिल होकर भाजपा से पार्टी प्रत्याशी बनने के लिए प्रयासरत हैं। अभी भाजपा ने अपना पत्ता नहीं खोला है। वैसे भाजपा से टिकट लेने वालों की लंबी लिस्ट है। इनमें सत्यानन्द झा बाटुल, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रदीप वर्मा, दुमका नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष अमिता रक्षित समेत अन्य लोगों के नाम हैं।
वहीं झामुमो के विधायक रवींद्रनाथ महतो का ही नाम झामुमो से टिकट लेने में सबसे आगे दिख रहे है। नाला सीट 1962 से 1990 तक भाकपा के तत्कालीन विधायक विशेश्वर खां के कब्जे में रही। वहीं 1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के राजकुमार हिम्मत सिंह ने चुनाव जीत लिया। पुनः 1995 में भाकपा के विशेश्वर खां ने कांग्रेस के राजकुमार हिम्मत सिंह से सीट को झटक लिया।