JoharLive Team
रांची : महाराष्ट्र में एक रात में ही सियासत बदल गई, इस तरीके के हालात हरियाणा में भी हुए। दोनों राज्यों में बहुमत से ज्यादा सीटों की बात की थी। जहां हरियाणा में भाजपा का नारा दिया था कि अबकी बार 200 पार। वहीं, महाराष्ट्र में नारा था कि अबकी बार 200 पार। लेकिन इसके बाद भी दोनों राज्यों में त्रिशंकु स्थिति बनी। लेकिन अंत में भाजपा सत्ता में काबिज हुई।
वहीं, झारखंड में होने वाले चुनावों के लिए भाजपा की तरफ से सावधानी बरती जा रही है। भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर की बातों से तो कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। माथुर ने कहा कि पार्टी महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव नतीजों से सबक लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं। माथुर इसलिए भी इतनी सतर्कता बरत रहे हैं क्योंकि चुनाव दर चुनाव ऐसे हालात झारखंड में बनते हैं। यहां भाजपा सत्ता गंवाती रहती है।
प्रदेश की राजनीति का हाल ऐसा है कि यहां से निर्दलीय मधु कोड़ा भी सीएम बन चुके हैं। वहीं, साल 2005 में बहुमत साबित ना करने के कारण 10 दिन में शिबू सोरेन की सरकार गिर चुकी है। 2009 में हुए विधानसभा चुनावों में किसी को भी बहुमत नहीं मिला तो एक दूसरे के खिलाफ लड़ने वाले झामुमो और भाजपा ने हाथ मिलाकर सरकार बना ली। शिबू सोरेन प्रदेश के सीएम बने वही, भाजपा के रघुवर दास डिप्टी सीएम।
शिबू सोरेन ने तमाड़ ने चुनाव लड़ा और हार गए। जिसके बाद उनकी सरकार गिर गई और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा। फिर भाजपा, झामुमो, आजसू और निर्दलीयों के बीच पावर शेयरिंग फॉर्मूला बना। इसके बाद भाजपा के अर्जुन मुंडा की सरकार बनी। हेमंत सोरेन डिप्टी सीएम बने। 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा-आजसू गठजोड़ को पूर्ण बहुमत मिला, लेकिन झाविमो टूट गई।