Joharlive Team

रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के आधे विधायकों और मंत्रियों को टिकट से हाथ धोना पड़ सकता है। इन मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ स्थानीय स्तर पर गहरी नाराजगी है। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा में औसत प्रदर्शन से सतर्क भाजपा इस सूबे में अपनी सरकार बचाने के लिए बड़ी संख्या में विधायकों का टिकट काटने और राष्ट्रवाद के साथ मजबूत स्थानीय मुद्दों पर माथापच्ची करने में जुटी है। लोकसभा चुनाव 2014 के बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी पार्टी झारखंड में अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई थी।
हाल ही में हरियाणा और महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दों के हावी हो जाने के कारण पार्टी इन राज्यों में अपना पुराना प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई। पार्टी के एक रणनीतिकार के मुताबिक इन दो राज्यों में पार्टी स्थानीय मुद्दों के संदर्भ में व्यापक तैयारी नहीं कर पाई।

तब रणनीतिकारों को लगता था कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और पीओके में की गई सेना की बड़ी जवाबी कार्रवाई के कारण इन राज्यों में राष्ट्रवाद केंद्रीय मुद्दा हो जाएगा। हालांकि परिणाम से साबित हुआ कि इन चुनावों में राष्ट्रीय या राष्ट्रवादी को मतदाताओं ने ज्यादा अहमियत नहीं दी। यही कारण है कि पार्टी यहां ऐसे स्थानीय मुद्दों की तलाश में है, जिसकी बदौलत विपक्ष को घेरा जा सके।

इस क्रम में पार्टी अपनी स्थापना के बाद से ही जारी रही राजनीतिक अराजकता को खत्म करने को प्रमुख मुद्दा बनाएगी। गौरतलब है झारखंड की यह पहली सरकार है जिसने अपने पांच साल का कार्यकाल और बतौर सीएम रघुवर दास ने अपना कार्यकाल पूरा किया है। पार्टी यह संदेश देगी कि भाजपा के हाथ से सत्ता जाते ही राज्य में एक बार फिर से राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरू हो जाएगा।

Share.
Exit mobile version