रांची : विधानसभा चुनाव 2024 झारखंड में काफी दिलचस्प होने वाला है. एक तरफ झामुमो-कांग्रेस सीटों को लेकर अभी तक एक नहीं हो सकी हैं. वहीं, दूसरी ओर भाजपा-आजसू की सीट शेयरिंग को लेकर सहमति बन गयी है. दोनों तरफ से वार्ता फाइनल हो चुकी है, सिर्फ आधिकारिक घोषणा बाकी है. सूत्र बताते हैं कि सितंबर अंतिम महीने से सब चीजें स्पष्ट हो जाएंगी. अभी तक जो बातें सीट को लेकर फाइनल हुई हैं, उनमें 9 सीटों पर सहमति बनी है. भाजपा अपनी सीटिंग सीट सिमरिया भी आजसू को देने के लिए सहमति दे चुकी है. हालांकि, अभी एक और सीट आजसू को मिल सकती है. लेकिन, उसमें सत्यता कितनी है, कुछ कहा नहीं जा सकता है.

भाजपा से 13 सीट मांगी रही आजसू

जानकारी के अनुसार, आजसू ने भाजपा से कुल 13 सीट की मांग की थी, जिसमें 9 सीटों पर लगभग सहमति बन गई. अब दो-तीन सीटों पर मामला फंसा हुआ है. संभावना है कि एक सीट और भाजपा आजसू के लिए छोड़ सकती है. आजसू 12 से 13 सीट मांग कर रही है. लेकिन फिलहाल भाजपा 9 सीट देने को तैयार है. दबाव पड़ा तो एक सीट और दे सकती है.

इन सीटों को लेकर फिलहाल बनी सहमति

भाजपा-आजसू के बीच हुई बैठक में कई बातों को लेकर चर्चा हुई है. इस दौरान भाजपा 9 सीट आजसू को देने के लिए तैयार है. भाजपा अपनी एक सीटिंग सीट सिमरिया भी देने को लेकर सहमति दे चुकी है. इसके अलावा भाजपा आजसू को लोहरदगा, सिल्ली, रामगढ़, मांडू, गोमिया, डुमरी, जुगसलाई और पाकुड़ सीट देने को तैयार है. इन नौ सीटों पर लगभग दोनों पार्टियों के बीच सहमति बन गई है. अब इनमें हेरफेर की संभावना कम है. वैसे जब तक सूची नहीं जारी होगी तब तक पक्के तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता है. फिलहाल यही स्थिति है.

 इन सीटों पर आजसू दावा कर रही है भाजपा के समक्ष

सीट शेयरिंग को लेकर हुई बैठक में आजसू चंदनक्यारी, टुंडी, तमाड़ और ईचागढ़ सीट पर भी दावा कर रही है. लेकिन भाजपा फिलहाल तैयार नहीं है. आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो टुंडी के लिए जोर लगाए हुए हुए हैं. सुदेश यहां से आईपीएस अधिकारी रह चुके संजय रंजन के साथ इजराफिल अंसारी के लिए संभावना तलाश रहे हैं. कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि सुदेश भी यहां से चुनाव लड़ सकते हैं? टुंडी विधानसभा की जो वर्तमान राजनीतिक स्थिति है उसको देखते हुए भाजपा टुंडी छोड़ सकती है. हालांकि यहां से एक युवा चेहरा राजीव ओझा भाजपा से टिकट के मजबूत दावेदार हैं. राजीव की दिल्ली तक पकड़ बतायी जा रही है. राजीव ओझा की दावेदारी के कारण भी मामला उलझा हुआ है. चंदनक्यारी और ईचागढ़ सीट छोड़ने को भाजपा तैयार नहीं है. चंदनक्यारी से प्रतिपक्ष के नेता अमर बाउरी सिटिंग विधायक हैं. जबकि ईचागढ़ से पार्टी अरविंद सिंह को चुनाव लड़ना चाहती है. टिकट का भरोसा दिए जाने के बाद ही अरविंद सिंह भाजपा में शामिल हुए हैं. अरविंद सिंह ईचागढ़ से विधायक रह चुके हैं और क्षेत्र में मजबूत पकड़ भी है. इसलिए भाजपा यह सीट अपने पास रखना चाहती है. लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को यहां से 50000 से अधिक वोट की बढ़त मिली थी.

Also Read: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी को लिखा खत, मांगा बकाया 1.36 लाख करोड़, बोले-हम स्पेशल स्टेटस नहीं मांग रहे हैं

Share.
Exit mobile version