Joharlive Team
रांची। 170 करोड़ रुपए के घोटाला मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने अपनी दबिश डालनी शुरू कर दी है. एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम इस मामले की जांच शुरू करते हुए जरेडा कार्यालय में छापेमारी कर रही है. डीएसपी के नेतृत्व में एक टीम डोरंडा स्थित जरेडा के कार्यालय में निरंजन कुमार से जुड़े फाइलों को खंगाल रही है. निरंजन कुमार के खिलाफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जांच का आदेश दिया था. जिसके बाद एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम उनके कार्यालय और ठिकानों पर छापेमारी कर रही है.
मिली जानकारी के अनुसार एंटी करप्शन ब्यूरो की एक टीम निरंजन के दूसरे ठिकानों पर भी छापेमारी रही है. वहीं कार्यालय में छापेमारी के दौरान घोटालों से संबंधित फाइल
क्या है आरोप
निरंजन कुमार के खिलाफ आरोप है कि वह अपने पहुंच के बल पर जेयूएसएनएल और जरेडा के निदेशक बन गए. जबकि निदेशक बनने के लिए वह कोई भी तकनीकी अहर्ता पूरी नहीं कर रहे थे. इसके बावजूद वे अपने पद पर बने रहे. इस मामले में एसीबी डीजी जी ने आदेश दिया है कि 2 हफ्ते में पीई की जांच पूरी कर इस संबंध में आगे के तथ्यों की जानकारी जुटाकर एफआइआर दर्ज की जाए. निरंजन कुमार पर आरोप यह भी है कि वह पद पर रहने के दौरान अवैध तरीके से अपने वेतन की निकासी तो की ही, साथ-साथ विभिन्न बैंकों के खातों में उन्होंने 170 करोड़ रुपये का भुगतान किया. वहीं उन्होंने सपरिवार कई बार विदेश भ्रमण भी किया. सरकारी पद पर होने के बावजूद उन्होंने कभी भी पत्नी की अर्जित संपत्ति की कोई जानकारी नहीं दी. सरकार द्वारा पूर्व में कराई गई विभागीय जांच में यह बात सामने आई थी कि टेंडर में मनमानी कर निरंजन कुमार के द्वारा विशेष कंपनी को फायदा पहुंचाया गया था. वहीं कई टेंडरों में बगैर बोर्ड के सहमति के भी निविदा की शर्ते बदल दी गई थी.
पूर्व में नहीं मिली थी जांच की अनुमति
निरंजन कुमार के खिलाफ पूर्व में भी एंटी करप्शन ब्यूरो ने जांच की सहमति सरकार से मांगी थी. लेकिन पूर्ववर्ती सरकार ने जांच की अनुमति नहीं दी. अब चुकि सरकार की तरफ से निरंजन कुमार के खिलाफ जांच की अनुमति मिल गई है. ऐसे में एंटी करप्शन ब्यूरो ने पीई दर्ज की है. जांच रिपोर्ट के आधार पर दो हफ्ते के बाद एफआइआर दर्ज की जाएगी.