JoharLive Teem: चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण आज दोपहर श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के सतीश धवन स्पेस सेंटर से किया गया। इससे जहां पूरा देश उत्साहित है, वहीं झारखंड की राजधानी रांची भी इसमें अपनी गहरी साझेदारी होने के कारण गर्व महसूस कर रही है। दरअसल, चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण से रांची के मेकॉन (मेटलर्जिकल एंड इंजीनियरिंग कंसल्टेंट लिमिटेड) का काफी गहरा नाता है। मेकॉन ने ही सतीश धवन स्पेस सेंटर में दूसरा सेटेलाइट लांच पैड बनाया था। वर्तमान में सभी सेटेलाइट इसी से लांच किए जा रहे हैैं।वर्ष 1999 में इसरो ने किया था मेकाॅन से कांट्रैक्टभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने दूसरा बड़ा लांच पैड विकसित करने का कांट्रैक्ट 1999 में मेकॉन को दिया था। मेकॉन को इसे पूरी तरह से बनाकर साल 2003 तक दे देना था। लेकिन तभी पोखरण परमाणु परीक्षण के कारण भारत पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगा दिए गए। इससे लांच पैड बनाने के लिए कई जरूरी सामान की आपूर्ति नहीं हो पा रही थी। इस वजह से इसे वर्ष 2005 में पूरा कर इसरो को सौंपा जा सका। यह लाॅन्च पेड 250 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाला तूफान भी झेल सकता है इस प्रोजेक्ट से जुड़े मेकॉन के निशीथ कुमार, उप महाप्रबंधक व रंजीत कुमार, संयुक्त महाप्रबंधक, रॉलिंग मिल्स डिवीजन, ने कहा, इस स्पेस स्टेशन से जब भी कोई सेटेलाइट लांच किया जाता है तो दिल खुश हो जाता है। इस लांच पैड की डिजाइन रांची के मेकॉन कार्यालय में ही तैयार की गई थी। इसके लिए इंजीनियरों ने कई सालों तक काम किया हैं। हम ये समझ रहे थे कि हम जो बना रहे हैैं वह देश के लिए गर्व का विषय होगा। सतीश धवन स्पेस सेंटर में पहले से एक लांच स्टेशन था, लेकिन उससे केवल पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) ही प्रक्षेपित किए जा सकते थे। देश की बढ़ती जरूरतों के लिए बड़े लांच स्टेशन की जरूरत थी। हमने वह काम किया जिसे हमारे बाद भी याद रखा जाएगा। सीएडी अतुल भट्ट ने इसरो चंद्रयान-2 का सफलतापुर्वक प्रक्षेपण के बाद कहा कि चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग ने देश के हर एक नागरीक को गौरवान्वित कर दिया हैं । हमारे वैज्ञानिकों की ताकत के साथ साथ मेकाॅन के 125 इन्जीनियरस की कडी मेहनत का नतीजा है । जिन्होने उच्च गुणवता व आधुनिक लाॅन्चपेड बनाया । मुझे मेकाॅन के सभी कर्मचारीयों पर गर्व है । इसके लिए मैं उन्हे बधाई देता हुँ ।